कलारचना

सफलता के लिये अपने तरीके से काम करें: अपर्णा

कोलकाता | मनोरंजन डेस्क: भारतीय सिनेमा की सफल अभिनेत्री तथा निर्देशक अपर्णा का मानना है कि सफलता के लिये अपने तरीके से काम करें. अपर्णा सेन ने बंग्ला तथा हिन्दी सिनेमा में काम किया है. अपर्णा सेन ने अपनी फिल्मी शुरुआत अभिनेत्री के रूप में फिल्मकार सत्यजीत रे के निर्देशन में की थी और आज वह भारतीय सिनेमा के बेहतरीन फिल्मकारों में गिनी जाती हैं. अपर्णा अपने गुरु सत्यजीत रे के सिद्धांतों से सीखने और उनको बरकरार रखने में तो भरोसा करती हैं, लेकिन साथ ही वह अपने तरीके से काम करने में भी भरोसा करती हैं.

फिल्म निर्देशक के रूप में अपर्णा की पहली फिल्म ’36 चौरंगी लेन’ हो या ‘मिस्टर एंड मिसेज अय्यर’ या ‘द जैपनीज वाइफ’ चुनिंदा विषयों के लिए उनकी लगन ने दर्शकों और समीक्षकों दोनों को ही प्रभावित किया है.

पश्चिम बंगाल से ताल्लुक रखने वाली फिल्मकार होने के नाते अपर्णा भी दूसरे बंगाली निर्देशकों की अपने काम को सत्यजीत रे की विरासत से बहुत अलग नहीं पातीं, लेकिन साथ ही अपने तरीके से फिल्म बनाने में यकीन रखती हैं.

अपर्णा ने कहा, “मैं रे से काफी प्रभावित हूं. आज तक फिल्म निर्माण के क्षेत्र में मेरा यही अनुभव रहा है कि यदि आप पश्चिम बंगाल में फिल्म बना रहे हैं तो रे के सिद्धांतों से खुद को अलग नहीं कर सकते.. दूसरा उपाय ही नहीं है.”

अपर्णा ने 1961 में रे की फिल्म ‘तीन कन्या’ से अपने अभिनय करियर का आगाज किया था. यह फिल्म रवींद्र नाथ टैगोर की लिखी तीन लघुकथाओं पर आधारित थी. इस फिल्म के बाद से अपर्णा बांग्ला की मुख्यधारा फिल्मों की अग्रणी अभिनेत्री के रूप में उभरी थीं.

अपर्णा ने कहा, “रे की कहानियां, पटकथा और छोटी-छोटी बारीकियों पर भी ध्यान देना.. इस सभी बातों का मुझ पर प्रभाव है, लेकिन आपको बताऊं हम लोग कुछ हटकर भी काम करने की कोशिश करते हैं, ताकि हम सत्यजीत रे की नकल मात्र बनकर न रह जाएं.”

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