‘पिंक’ के लिये अमिताभ पुरस्कृत
मुंबई | मनोरंजन डेस्क: फिल्म ‘पिंक’ में जानदार अभिनय के लिये अमिताभ बच्चन को ‘स्टारडस्ट व्यूअर्स च्वाइस बेस्ट एक्टर मेल’ का पुरस्कार मिला है. अमिताभ ने फिल्म ‘पिंक’ के लिये मिले पुरस्कार की तुलना इस तरह से कही है कि जब राष्ट्र महिलाओं की ‘ना मतलब ना’ के टैगलाइन को सलाम करने उठ खड़ा हुआ है. दरअसल, फिल्म की कहानी ही ऐसी है कि दिलों को छू ले. इस फिल्म में यही कहा गया है कि महिलाओं की ‘ना का मतलब ना’ होता है. उसे हां समझने की भूल न करें.
भारतीय समाज में बेटियों को पुरातन समय से ही ऊंचा स्थान दिया गया है. आज भी कई प्रातों में बेटियों को पैर छूने नहीं दिया जाता है. बंगालियों में तो बेटियों को ‘मां’ कहकर संबोधित किया जाता है. ‘मां’ शब्द वह पहला शब्द है जिसे बच्चा सबसे पहले बोलना सीखता है. यदि मां नहीं होती तो सृष्टि का अंत कब का हो गया होता यह जितना सत्य है उतना ही सत्य यह है कि बेटी ही मां बनती है. इसके बाद भी पीड़ा की बात यह है कि उसी भारत वर्ष में औसतन रोज 3 लड़कियों की अस्मत लूटी जाती है. अर्थात् लड़कियों-महिलाओं की ‘ना को ना’ नहीं माना जाता है.
यूएन मुख्यालय में बिग बी की ‘पिंक’
एक पीड़िता का ट्रायल है ‘पिंक’
समाज से मत डरना बेटियों- बिग ‘बी’
फिल्म ‘पिंक’ में हवस की शिकार होती बेटियों के दर्द को फिल्माया गया है जहां रेप के बाद उसी पर केस कर दिया जाता है. फिल्म में अमिताभ हवस की शिकार होने के बाद समाज की उलाहना झेलती बेटियों के आवाज़ बनते हैं. उन्हें कानूनी दांवपेंच में सुरक्षित निकाल लेने की ईमानदार कोशिश करते हैं.
फिल्म ‘पिंक’ के लिये दर्शकों की पसंद बनने पर अमिताभ का कहना है कि यह फिल्म की टैग लाइन महिलाओं की ना का अर्थ ना होता है को मिला जन समर्थन है.
T 2478 – “PINK” … when a nation stood up and saluted the tag line :
NO means NO !! pic.twitter.com/wKW2CudVAl— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) 20 दिसंबर 2016