कैट और दिल्ली के बाद, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से भी जीपी सिंह को राहत
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह के ख़िलाफ़ दर्ज़ देशद्रोह सहित तीन मामलों को रद्द करने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा है कि जीपी सिंह के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं हैं और उन्हें परेशान करने के लिए ये मामले दर्ज़ किए गए थे.
आय से अधिक संपत्ति, देशद्रोह और ब्लैकमेलिंग के दर्ज़ मामलों के ख़िलाफ़ जीपी सिंह ने याचिका दायर की थी. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने याचिका की सुनवाई करते हुए तीनों ही एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है.
इससे पहले अगस्त में दिल्ली हाईकोर्ट ने जीपी सिंह को नौकरी पर बहाल करने के कैट के फ़ैसले को सही ठहराया था.
गौरतलब है कि पिछले साल 20 जुलाई को जीपी सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी. इसके बाद जीपी सिंह ने इसे कैट में चुनौती दी थी. कैट ने 30 अप्रैल 2024 को अपने आदेश में जीपी सिंह को 4 सप्ताह के भीतर बहाल करने का निर्देश दिया था.
कैट के इस आदेश को केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने भी कैट के आदेश को सही ठहराया था.
अदालत ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए पूरे सेवाकाल के बजाय केवल पांच साल के सेवा काल को आधार माने जाने को नियमानुसार ग़लत माना.
अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के ताज़ा फ़ैसले ने भूपेश बघेल सरकार के कामकाज को सवालों के घेरे में ला दिया है.
भूपेश सरकार में गिरफ़्तार हुए थे जीपी सिंह
एंटी करप्शन ब्यूरो के मुखिया रहे जीपी सिंह को पहले भूपेश बघेल की सरकार ने निलंबित किया, उन्हें गिरफ्तार किया गया, वे लगभग 120 दिनों तक जेल में रहे और फिर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी.
1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह अनिवार्य सेवानिवृत्ति से पहले राज्य पुलिस अकादमी के निदेशक के पद पर कार्यरत थे. इस पद पर आने से पहले वे राज्य में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध ब्यूरो के प्रमुख भी थे.
जुलाई 2021 में इसी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध ब्यूरो ने उनके रायपुर स्थित घर समेत, पंद्रह से भी अधिक अलग-अलग जगहों पर छापेमारी की थी.
तीन दिन तक चली छापेमारी के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दावा किया कि इस छापेमारी में दर्जनों प्लॉट, गाड़ियां, बीमा के काग़ज़ात, उद्योगों में निवेश, नक़दी और सोना बरामद किया गया है.
राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था
इसके बाद पुलिस ने, गुरजिंदर पाल सिंह के घर के पीछे से बरामद डायरी और फटे हुए कुछ पन्नों को आधार बना कर उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज़ किया.
राजद्रोह की धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी में कहा गया कि गुरजिंदर पाल सिंह द्वारा नेताओं के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणियां लिखी गई हैं और कथित रूप से साज़िश की योजनाओं के बारे में लिखा गया है.
आरोप है कि डायरी और दूसरे काग़ज़ों में राज्य के विभिन्न विधायकों और विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों के संबंध में गोपनीय विश्लेषण, शासकीय योजनाओं, नीतियों और सामाजिक, धार्मिक मुद्दों पर गंभीर टिप्पणियां की गई थी.
इसके अलावा उनके ख़िलाफ़ आय से अधिक संपत्ति एकत्र करने के अलावा एक व्यापारी ने ब्लैकमेल करने का भी आरोप लगाया था.
इसके बाद इन सभी मामलों में जीपी सिंह ने अपने को फंसाने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर, एफआईआर रद्द करने का अनुरोध किया था.