BREAKING : अडानी का खदान रद्द करने छत्तीसगढ़ ने नहीं लिखी चिट्ठी-केंद्र
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में अडानी के एमडीओ वाले खदान की स्वीकृति रद्द करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र को कोई चिट्ठी नहीं भेजी है.केंद्र सरकार ने एक आरटीआई के जवाब में छत्तीसगढ़ सरकार के इस दावे को खारिज किया है.
इससे पहले अक्टूबर में राज्य सरकार ने मीडिया को एक पत्र साझा करते हुए दावा किया था कि हसदेव अरण्य में परसा कोयला खदान की वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति को निरस्त करने के लिए केंद्र को चिट्ठी भेजी गई है.
यह चिट्ठी वन महानिरीक्षक को भेजने का दावा किया गया था.
राज्य के मुख्यमंत्री और वन मंत्री भी समय-समय पर इस आशय का पत्र लिखने का दावा करते रहे हैं.
लेकिन भारत सरकार के वन महानिरीक्षक ने एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार की ऐसी कोई चिट्ठी उन्हें नहीं मिली है.
इतना ही नहीं, वन महानिरीक्षक ने छत्तीसगढ़ के पीसीसीएफ को इस संबंध में जानकारी उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं.
केंद्र सरकार के इस जवाब के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर इस मामले में केंद्र सही कह रहा है या राज्य सरकार का दावा सही है?
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा केंद्र को भेजे गये कथित पत्र के दिनांक, क्रमांक के उल्लेख के साथ रायपुर के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने केंद्र सरकार के वन महानिरीक्षक से जानकारी मांगी थी.
कांग्रेस सरकार का हाथ अडानी के साथ
भारत सरकार के वन महानिरीक्षक के इंकार के बाद हसदेव अरण्य के आदिवासियों ने कहा है कि एक तरफ राहुल गांधी अडानी का विरोध करते हैं, दूसरी ओर उनकी ही सरकार अडानी के एमडीओ वाले खदान को बचाने के लिए तरह-तरह की तिकड़म कर रही है.
आदिवासी नेताओं ने सीजी खबर से कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार का हाथ अडानी के साथ है.
हसदेव अरण्य के नेताओं ने कहा कि अगर राज्य सरकार ने सच में ऐसी कोई चिट्ठी लिखी थी, तो इस गंभीर मसले की चिट्ठी किस माध्यम से भेजी गई थी, इस बात को सार्वजनिक करे.
आदिवासी नेताओं ने आशंका जताई है कि कथित चिट्ठी लिख कर उसे कहीं भेजा ही नहीं गया.
नेताओं का कहना था कि जब हसदेव अरण्य के कोल ब्लॉक के आवंटन के लिए केंद्रीय वन मंत्रालय की कमेटी की बैठक के दौरान राज्य सरकार अपना प्रतिनिधि भेज सकती है तो आवंटन रद्द करने के लिए चिट्ठी लेकर कोई प्रतिनिधि क्यों नहीं भेजा गया?
अक्टूबर की कथित चिट्ठी, जिसके मिलने से केंद्र ने किया है इंकार
छत्तीसगढ़ सरकार ने अक्टूबर के महीने में मीडिया को जो पत्र साझा किया था, उसके अनुसार कथित तौर पर यह चिट्ठी 31 अक्टूबर 2022 को केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन महानिरीक्षक को लिखी गई थी.
इस पत्र में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन, मंत्रालय, दिल्ली के पत्र क्रमांक 8-36/2018/एफसी दिनांक 21.10.2021 का हवाला दिया गया था.
पत्र में कहा गया था- “हसदेव अरण्य कोल फील्ड में व्यापक जनविरोध के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो गई है. ऐसे में जन विरोध, कानून व्यवस्था एवं व्यापक लोकहित को दृष्टिगत रखते हुए परसा खुली खदान परियोजना (रकबा 841.548 हे.) में संदर्भित पत्र के माध्यम से जारी वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति को निरस्त करने के संबंध में उचित कार्यवाही करने का कष्ट करें.”