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सल्फी पेड़ों पर संकट, सूख रहा है बस्तर बीयर

जगदलपुर|संवाददाताः छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासियों का आय का मुख्य स्त्रोत रहे सल्फी पेड़ का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है.

अनजान बीमारी का प्रकोप इन पेड़ों पर इस कदर तेजी से फैल रहा है कि देखते-देखते ही सल्फी के पेड़ मर रहे हैं. पिछले कुछ सालों के अंदर ही बस्तर में सल्फी पेड़ों की संख्या काफी घट गई है. जिसके चलते बस्तर का आदिवासी हैरान और परेशान हैं. उन्हें तो अब रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है.

यह पहली दफा नहीं हुआ है. डेढ़ दशक पहले भी ऐसी स्थिति बनी थी.

आदिवासी बाहुल्य बस्तर में सल्फी का रस ग्रामीणों के लिए आय का मुख्य स्रोत है. यहां के अधिकांश आदिवासी गांव के हाट बाजारों में सल्फी का रस बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं.

सल्फी के पेड़ से निकलने वाला रस ‘बस्तर बीयर’ के नाम से छत्तीसगढ़ ही नहीं देश-विदेश में मशहूर है, लेकिन पिछले कुछ सालों से आदिवासियों के इस आय से साधन पर ग्रहण लगता जा रहा है. पूरे बस्तर में सल्फी के पेड़ तेज़ी से सूखते जा रहे हैं.

जानकारों का कहना है कि यह एक फंगस है. जिसके चपेट में सल्फी के पेड़ आ रहे हैं और बहुत तेजी से पेड़ सूख रहे हैं.

आदिवासी अपने स्तर पर इसका उपचार भी कर रहे हैं, फिर भी वे पेड़ों को बचा नहीं पा रहे हैं.

इस बीमारी से आदिवासी इतने परेशान हो गए हैं कि अब सल्फी के पौधे ही लगाना छोड़ रहे हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि करीब 10 से 15 साल पहले बस्तर के हर गांव के घर की बाड़ियों में बड़ी संख्या में सल्फी के पेड़ नजर आते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे ग्रामीणों अंचलों में सल्फी के पेड़ घट रहे हैं.

सल्फी रस से ही चलता है घर परिवार

सल्फी के पेड़ से निकले रस यानी ‘बस्तर बीयर’ की मांग बस्तर में काफी है.

स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ बस्तर घूमने आने वाले पर्यटकों की यह पहली पसंद है.

बाहरी और विदेशी पर्यटक तो बड़े आनंद से सल्फी का रस पीते हैं.

बस्तर के आदिवासियों की आय का मुख्य साधन होने के कारण बस्तर के हर घर में सल्फी का पेड़ जरूर दिखाई देता है.

इसके अलावा खेतों के मेड़ों पर भी इसे लगाते हैं. कहा जाता है कि आदिवासी इस पेड़ को अपने बच्चे की तरह पालते हैं.

करीब 9-10 साल का होने के बाद यह पेड़ रस देना शुरू करता है और 25 साल तक रस देता है.

बताया जाता है कि एक पेड़ से करीब 40 से 50 हजार की आमदनी ग्रामीणों को होती है.

ग्रामीणों में जानकारी का अभाव-पैंकरा

पौधारोग विशेषज्ञ डॉ. के.एस पैंकरा का कहना है सल्फी पेड़ पर फंगस का प्रकोप काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है. पेड़ के जड़ के किनारे गड्ढा खोदकर डाईकोडर्मा व डेनोमाइल नामक एंटीफंगस केमिकल डालने से फंगस नष्ट होता है.

उन्होंने कहा कि फंगस के नष्ट होने से पेड़ को पोषक तत्व मिलने लगता है और पेड़ सूखने से बच जाता है. इसका प्रयोग लक्षण दिखने के साथ ही करना चाहिए.

उन्होंने बताया कि अंदरूनी इलाकों में कई ग्रामीणों को इसकी जानकारी नहीं होने की वजह से फंगस लगने के बाद पेड़ की देखरेख नहीं करते और यह फंगस तेजी से पेड़ को सुखाने लगता है.

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