बांग्लादेश पर सेना का कब्जा, हसीना देश छोड़ कर भागीं
ढाका | विशेष संवाददाता: बांग्लादेश में सेना के कब्ज़े के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़ कर हेलीकॉप्टर से रवाना हो गई हैं. उनके साथ उनकी बहन रेहाना हसीना भी थीं.
बांग्लादेश वायु सेना के हेलिकॉप्टर को एयर कमोडोर अब्बास ने उड़ाया. वह 101 स्क्वाड्रन के सदस्य हैं.
कहा जा रहा है कि वह भारत आ कर लंदन जा सकती हैं.
संयोग है कि 15 अगस्त, 1975 को शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार की उनके ही आवास में हत्या कर दी गई.
लगभग 50 साल बाद, मुजीब की बेटी शेख हसीना को एक अगस्त को देश छोड़ना पड़ा.
शेख हसीना के देश छोड़ने को लेकर कहा जा रहा है कि बांग्लादेश सेना ने इस्तीफा देने के लिए 45 मिनट का समय दिया गया था.
हालांकि कुछ सूत्रों का दावा है कि पूरे मामले पर सेना और दिल्ली से चर्चा की गई है. इसके बाद हसीना ने इस्तीफा दिया.
बांग्लादेशी मीडिया के एक वर्ग ने दावा किया कि देश छोड़ने से पहले हसीना राष्ट्र के नाम अपना विदाई संबोधन रिकॉर्ड करना चाहती थीं. लेकिन उन्हें वो मौका भी नहीं मिला.
बांग्लादेश संसद के स्पीकर को सत्ता हस्तांतरित की जा रही है. इसके बाद बांग्लादेश में कार्यवाहक प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी के तहत कार्यवाहक सरकार बनेगी.
इधर हज़ारों लोगों की भीड़ ने शेख हसीना के सरकारी आवास पर धावा बोल दिया है.
बांग्लादेश से सामने आए वीडियो में प्रदर्शनकारी बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़कर उसे तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं
दूसरी ओर आर्मी चीफ़ जनरल वकार-उज़-ज़मान ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार बनाई जाएगी.
उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने अलग अलग पक्षों से बात भी की है.
आर्मी चीफ़ ने देश को संबोधित करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में आंदोलन में जो लोग मारे गए हैं, उनके लिए इंसाफ़ होगा.
आरक्षण की आग में ध्वस्त हुआ लोकतंत्र
बांग्लादेश में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को सरकारी नौकरियों में एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान है.
साल 1971 में पाकिस्तान से आज़ादी की जंग लड़ने वालों को बांग्लादेश में ‘वॉर हीरो’ कहा जाता है.
हाई कोर्ट ने इस साल पांच जून को एक याचिका के आधार पर वर्ष 2018 में सरकारी नौकरियों में आरक्षण रद्द करने संबंधी सरकार की अधिसूचना को अवैध करार दिया था.
अदालत के उस फैसले के बाद से ही आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में आंदोलन शुरू हुआ.
आंदोलनकारियों की मांग थी कि 2009 से बांग्लादेश की कमान संभाल रहीं शेख हसीना इस्तीफ़ा दें.
इस आंदोलन में अब तक तीन सौ से अधिक लोग मारे गए हैं.
रविवार को लोगों ने ढाका मार्च का आह्वान किया था, जिसके बाद से बांग्लादेश की हालत और बिगड़ती चली गई.
भारत ने कहा था- आंतरिक मामला
बांग्लादेश की हिंसा को लेकर भारत सरकार ने साफ़ किया था कि यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है.
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया से कहा था,”हम इसे बांग्लादेश का आंतरिक मामला मानते हैं.”
भारत के इस बयान पर बांग्लादेश के अर्थशास्त्री और नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने कहा था कि भारत का बयान दुखी करने वाला है.
मोहम्मद यूनुस ने कहा कि जब आपके भाई के घर में आग लगती है तो आप यह कैसे कह सकते हैं कि यह आपका आंतरिक मामला है.
उन्होंने कहा कि कूटनीति में और भी अधिक समृद्ध शब्द हैं अपनी बात रखने के लिए, सिर्फ यह कह देना कि यह आंतरिक मामला है, काफी नहीं है.