नक्सली करते हैं नेताओं की दलाली
रायपुर । जे के कर: क्या बस्तर में नक्सली राजनेताओं की दलाली में लगे हुये हैं ? या बस्तर में नक्सलियों की कोई नहीं सुनता ? या बस्तर के मतदाता राज्य के दूसरे इलाकों से कहीं अधिक जागरुक हैं? या बस्तर में सरकार के संरक्षण में फर्जी मतदान चरम पर होता है?
अगर ये किसी परीक्षा के वस्तुनिष्ठ प्रश्न होते तो इनमें से किसी एक पर आपको चिन्ह लगाना ही होता. लेकिन बस्तर में चुनाव से जुड़े ये सारे सवाल आपस में इतने उलझे हुये हैं कि बस्तर का चुनाव बेशर्मी के साथ एक साजिश की शक्ल में सामने आता है, लोकतंत्र के इस त्यौहार को मुंह चिढ़ाता हुआ.
सरकार के आंकड़े साफ-साफ स्वीकार करते हैं कि बस्तर में चुनाव के नाम पर कुछ घटा है, वहां सब कुछ धुंधला है. पिछले चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि बस्तर में छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों रायपुर, बिलासपुर तथा दुर्ग की तुलना में डाले गये मतो का प्रतिशत ज्यादा है. जबकि इन शहरो में न तो माओवादियों का खौफ है और ना ही मतदाताओं को चुनाव बहिष्कार की धमकी झेलनी पड़ती है.
यह हैरान करने वाली बात है कि राजधानी रायपुर के तीनों विधानसभाओं क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत बस्तर से कम है. जबकि यहां राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की फौज मौजूद रहती है, जो मतदाताओं को घरों से निकाल-निकालकर मतदान केन्द्रों तक ले जाती हैं. बस्तर के गांव की तरह ऐसा नहीं है कि जंगलों-पहाड़ों के रास्ते से होकर मतदान केंद्र तक पहुंचना होता है.
2008 के विधानसभा चुनाव में रायपुर पश्चिम में 59.06 प्रतिशत, रायपुर उत्तर में 57.55 प्रतिशत तथा रायपुर दक्षिण में 62.22 प्रतिशत मतदान हुआ था. छत्तीसगढ़ प्रदेश में कुल 70.51 प्रतिशत मतदान हुआ था.
इसकी तुलना में जनताना सरकार के दावा वाले सर्वाधिक नक्सल प्रभावित बस्तर के विधान सभाओं का हाल एकबारगी चौंका देता है. पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत कोंडागांव में 79.22 प्रतिशत, बस्तर में 74.87 प्रतिशत, जगदलपुर में 71.96 प्रतिशत, केशकाल में 71.93 प्रतिशत, कांकेर में 70.70 प्रतिशत, भानुप्रतापपुर में 65.85 प्रतिशत, चित्रकोट में 64.75 प्रतिशत, नारायणपुर में 61.03 प्रतिशत, अंतागढ़ में 60.56 प्रतिशत, दंतेवाड़ा में 55.60 प्रतिशत, कोंटा में 43.49 प्रतिशत तथा बीजापुर में 29.19 प्रतिशत था.
बस्तर की तुलना में 2008 के विधानसभा चुनाव में न्यायधानी बिलासपुर में 61.30 प्रतिशत, दुर्ग शहर में 64.13 प्रतिशत, भिलाई नगर में 62.93 प्रतिशत तथा वैशाली नगर में 61.89 प्रतिशत मतदान हुआ था. माना जाता है कि जहां साक्षरता जितनी ज्यादा होगी वहां मतदान का प्रतिशत उतना ही ज्यादा होगा. 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ की साक्षरता दर 71.04 प्रतिशत है. इसी जनगणना के अनुसार बस्तर के पांच जिलों में साक्षरता दर कांकेर में 70.91 प्रतिशत, बस्तर में 54.94 प्रतिशत, नारायणपुर में 49.59 प्रतिशत, दंतेवाड़ा में 42.67 प्रतिशत, बीजापुर में 41.58 प्रतिशत है. कुल मिलाकर नक्सल प्रभावित बस्तर की साक्षरता दर है 51.93 प्रतिशत है.
जनगणना 2011 के आंकड़े एक और कहानी भी कहते हैं, जिसे नजरअंदाज नही किया जा सकता है. वह है क्षेत्रफल तथा जनसंख्या का प्रतिशत. राजधानी रायपुर का क्षेत्रफल है छत्तीसगढ़ का 9.68 प्रतिशत लेकिन यहां की जनसंख्या छत्तीसगढ़ की जनसंख्या का 15.90 प्रतिशत है. न्यायधानी बिलासपुर का क्षेत्रफल है 6.12 प्रतिशत तथा जनसंख्या है 10.42 प्रतिशत. इसी प्रकार दुर्ग का क्षेत्रफल है 6.32 प्रतिशत एवं जनसंख्या है 13.09 प्रतिशत. बस्तर के आंकड़े इसके उलट हैं. वहां जनसंख्या का प्रतिशत क्षेत्रफल की तुलना में कम है, अर्थात बसाहट दूर-दूर है.
जनगणना के आंकड़ो के मुताबिक बस्तर जिले का क्षेत्रफल है 7.47 प्रतिशत तथा जनसंख्या है 5.53 प्रतिशत, कांकेर का क्षेत्रफल है 4.81 प्रतिशत और वहां की जनसंख्या है केवल 2.93 प्रतिशत, नारायणपुर का क्षेत्रफल है 5.11 प्रतिशत तथा उसकी जनसंख्या है केवल 0.55 प्रतिशत, दंतेवाड़ा का क्षेत्रफल है 6.69 प्रतिशत और यहां की जनसंख्या है 2.09 प्रतिशत. इसी तरह बीजापुर का क्षेत्रफल है 4.85 प्रतिशत और जनसंख्या है 1.00 प्रतिशत.
कहने का तात्पर्य यह है कि बस्तर में लोग दूर-दूर में रहते हैं, वहां साक्षरता दर भी तुलनात्मक रूप से नीचे है, जीवन बंदूक के सायो में जीना पड़ता है. इन सबके बावजूद वहां भारी मतदान हो रहा है. इन आंकड़ों के बाद क्या अब आप उपर के सवालों का जवाब दे पाने की हालत में हैं ? अगर नहीं तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार, चुनाव आयोग और नक्सलियों को इसका जवाब ज़रुर देना चाहिये.