राजधानी के अस्पताल में रीएजेंट नहीं, 300 करोड़ के वहां भेजे जहां लैब नहीं
रायपुर | संवाददाता : छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, में रीएजेंट यानी अभिकर्मक यानी खून की जांच में उपयोग होने वाले केमिकल्स की कमी से इलाज बंद होने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कड़ी नाराजगी जताई है.
राजधानी रायपुर के बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर अस्पताल में ख़ून की जांच पिछले तीन महीने से इसलिए बंद है क्योंकि अस्पताल में रीएजेंट की कमी है. मरीज अस्पताल के बाहर से खून जांच करवाने के लिए बाध्य हैं.
राज्य में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ ने चुनाव के दौरान आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए सीजीएमएससी यानी छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ समन्वय बना कर इस कमी को दूर करने के निर्देश दिए.
मनोज पिंगुआ ने स्वास्थ्य विभाग की बैठक बुला कर इस मुद्दे को गंभीरता से सुलझाने के लिए कहा.
300 करोड़ के रीएजेंट वहां भेजे, जहां लैब, रेफ्रिजरेटर नहीं
पिछले साल स्वास्थ्य विभाग ने लगभग 300 करोड़ रुपये के रीएजेंट और ऑटो एनालाइजर की ख़रीदी की थी.
इन रीएजेंट को उन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी भेज दिया गया, जहां रेफ्रिजरेटर ही नहीं थे. जबकि इन रीएजेंट को 0 से 4 डिग्री तापमान में अगर नहीं रखा जाए तो वह ख़राब हो जाते हैं.
इसके अलावा उन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो में भी इन रीएजेंट और ऑटो एनालाइजर की आपूर्ति कर दी गई, जहां लैब तकनीशियन के पद ही नहीं हैं.
राज्य के लगभग 900 में से 200 लैब में तो लैब की सुविधा ही नहीं है.