राष्ट्र

टेरी के अधिकारियों पर दबाव नहीं डाला: पचौरी

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: पर्यावरणविद् आर.के. पचौरी ने कहा है कि उन्होंने कभी भी अपने अधिकारियों पर दबाव नहीं डाला था. उन्होंने कहा कि उन पर लगाये गये आरोप झूठे तथा मनगढ़ंत हैं. पूर्व सहयोगी द्वारा दायर यौन उत्पीड़न के मामले का सामना कर रहे पर्यावरणविद् आर.के.पचौरी ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि उन्होंने कभी भी ‘द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट’ और इसके अधिकारियों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं डाला.

मीडिया में पीड़ित महिला की तरफ से इस आशय के बयान आए हैं कि पचौरी अपने खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले को निपटाने के लिए टेरी के अधिकारियों पर दबाव डाल रहे हैं. पचौरी ने अदालत में दायर अपने हलफनामे में इस आरोप को खारिज करते हुए इसे ‘जबरदस्त’ करार दिया.

उन्होंने अपने हलफनामे में कहा, “जवाब देने वाले प्रतिवादी ने कभी भी टेरी और इसके अधिकारियों पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला. यह रिकार्ड में दर्ज है कि वह फरवरी 2015 से जुलाई 2015 तक टेरी से दूर रहा था…”

महिला सहकर्मी द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप को पचौरी ने गलत बताया था. लेकिन, वह बीते साल फरवरी में जलवायु परिवर्तन से संबद्ध संयुक्त राष्ट्र अंतरसरकारी पैनल के अध्यक्ष पद से हट गए थे और उन्होंने टेरी से अवकाश ले लिया था. वह उस वक्त टेरी के महानिदेशक थे.

बाद में उन्हें टेरी के प्रमुख पद से हटा दिया गया था. उन पर आरोप लगाने वाली महिला ने नवंबर में टेरी की अपनी नौकरी छोड़ दी थी. उसने खुद के साथ खराब बर्ताव का आरोप लगाया था. टेरी ने आरोप को गलत बताया था.

लेकिन, अब पचौरी को यौन उत्पीड़न मामले की जांच जारी रहने के बावजूद संस्था का कार्यकारी उपाध्यक्ष बना दिया गया है. इसके खिलाफ महिला ने मीडिया में एक खुला पत्र जारी कर अपना क्षोभ जताया है. उसने पचौरी की प्रोन्नति को शर्मनाक बताया है.

पचौरी को बीते साल मार्च में अंतरिम जमानत मिली थी. महिला ने इसे निरस्त कराने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. महिला ने बाद में एक और अर्जी दाखिल की. इसमें उसने 12 जनवरी को टेरी के एक कर्मचारी की पुलिस को दी गई शिकायत का हवाला दिया. कहा जा रहा है कि इस शिकायत में कर्मचारी ने कहा था कि टेरी के वरिष्ठ अधिकारी उस पर दबाव डाल रहे हैं कि वह महिला से पचौरी से मामला खत्म करने के लिए कहे.

इस अर्जी के खिलाफ पचौरी ने अदालत से कहा, “याचिकाकर्ता उस वक्त भारत में थी ही नहीं जब अर्जी दायर की गई थी. इसलिए अदालत को इस तुच्छ अर्जी का संज्ञान नहीं लेना चाहिए.”

पचौरी ने कहा कि टेरी स्टाफ को प्रभावित करने का आरोप ‘झूठा और गुमराह’ करने वाला है.

पचौरी ने हलफनामे में कहा, “याचिकाकर्ता ने अदालत को यह दिखा कर गुमराह करने की कोशिश की है कि समाचार रपटों में कहा गया है कि पचौरी ने याचिकाकर्ता के पूर्व सहयोगी से मामला सुलटाने के लिए कहा है. यह हद है. याचिकाकर्ता ने वह लेख भी नहीं दिया जो इस अर्जी का आधार है.”

हलफनामे में कहा गया है, “यह गलत है कि पचौरी के खिलाफ कोई लिखित शिकायत दी गई है, जैसा कि दिखाने की कोशिश की जा रही है. याचिकाकर्ता के वकील ने पूरे मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए जान बूझकर झूठी बातें कहीं हैं.”

न्यायाधीश एस.पी.गर्ग गुरुवार को मामले की सुनवाई करेंगे.

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