छत्तीसगढ़: फोर्स पर उत्पीड़न का आरोप
रायपुर | समाचार डेस्क: सुकमा जिले में सुरक्षाबलों ने महिलाओं का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया है. बस्तर के सुकमा जिले के आदिवासी महिलाओँ ने उऩ पर सुरक्षाबलों के जवानों द्वारा निवस्त्र करने, मारपीट करने तथा यौन प्रताड़ना के आरोप लगाये हैं. वहीं बस्तर के आईजी एसआरपी कल्लूरी का कहना है कि जब भी सुरक्षाबल अपनी कार्यवाही तेज़ करते हैं माओवादियों के समर्थक उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाते हैं.
बस्तर के आईजी एसआरपी कल्लुरी ने बीबीसी से कहा, “हम हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं और अगर ऐसी कोई घटना हुई है तो दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई भी होगी. लेकिन जिस तरह की परिस्थितियां बस्तर में बन रही हैं, उसमें इस तरह की झूठी शिकायतों की संख्या आने वाले दिनों में और बढ़ेंगी”.
सुकमा के कुन्ना पेद्दापारा गांव के आदिवासी महिलाओं का आरोप है कि बड़ी संख्या में सुरक्षाबल के जवान तथा आत्म समर्पण करने वाले माओवादियों के दल ने महिलाओँ को प्रताड़ित किया है.
कथित रूप से पीड़ित महिलाओं ने अपनी शिकायत में कहा है कि एक महिला के पति और बच्चे को जब सुरक्षाबल के जवान अपने साथ गादिरास स्थित पुलिस कैंप में ले गए तो पीड़िता ने पुलिस से निवेदन किया कि उनका दुधमुंहा बच्चा है, पति और बच्चे को न ले जायें.
आरोप है कि सुरक्षाबल के जवानों ने स्तन से दूध निकाल कर दिखाने को कहा और बाद में एक सिपाही ने कथित रूप से आदिवासी महिला के स्तन से दूध निचोड़ कर देखा.
पीड़ितों ने कई महिलाओं को निर्वस्त्र करने और उनके साथ यौन दुर्व्यवहार किए जाने के आरोप भी लगाए हैं.
ग्रामीणों की शिकायत के बाद बस्तर के कमिश्नर ने पूरे मामले की जांच के लिए बस्तर के आईजी पुलिस, सुकमा के कलेक्टर और एसपी को पत्र लिखा है.
इधर मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल, आम आदमी पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है “यह हिंसा इतनी आक्रामक थी कि न केवल महिलाओं को नग्न करके मारपीट की गई, बल्कि नव-प्रसूताओं को अपना मातृत्व साबित करने के लिए स्तनों से दूध निकालकर भी दिखाना पड़ा है. इस उत्पीड़न के बाद 35 महिला-पुरूषों को भी सुरक्षा बल पकड़कर ले गए हैं, जिनमें से अभी भी तीन पुलिस हिरासत में है.”
माकपा ने मांग की है कि उन तीन सुरक्षाकर्मियों सहित, जिनकी पहचान प्रताड़ित लोगों ने की है, सभी यौन-उत्पीड़क सुरक्षाकर्मियों को तुरंत बर्ख़ास्त किया जाएं.
पराते ने कहा है कि “नक्सलियों से निपटने के नाम पर सरकार निर्दोष आदिवासियों को निशाना बनाना बंद करें. तमाम सरकारी दावों के बावजूद सच्चाई यही है कि सशस्त्र बलों की ताकत के सहारे नक्सलियों से निपटने में सरकार नाकाम रही है. लेकिन इस नीति से पूरे बस्तर में जनतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर हुई है और प्रशासन में भी गैर-जनतांत्रिक रूझानों को बढ़ावा मिल रहा है.”
माकपा ने आरोप लगाया है कि इस नीति का नतीजा है कि निर्दोष आदिवासी न केवल नक्सलियों के, बल्कि प्रशासन की हिंसा के भी निशाने पर है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बीजापुर जिले के पेंदागेलुर क्षेत्र में सुरक्षा बलों द्वारा आदिवासी महिलाओं को यौन-हिंसा और उत्पीड़न का शिकार बनाए जाने की तीखी निंदा करते हुए इस घटना की न्यायिक जांच की मांग की है.