अब सबको भोजन की गारंटी
नई दिल्ली | एजेंसी: सोमवार को देर रात राज्यसभा में खाद्य सुरक्षा विधेयक ध्वनि मत पारित हो गया. इससे देश के करीब 80 करोड़ लोगो को भोजन की गारंटी होगी. विधेयक के तहत लाभान्वितों को तीन रुपये प्रति किलो की दर पर गेंहू और दो रुपये प्रति किलो की दर से चावल तथा एक रुपये प्रति किलो की दर से मोटा अनाज मुहैया कराने की योजना है. इस खाद्य सुरक्षा कानून को यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का महत्वकांक्षी योजना माना जाता है.
खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश करते हुए खाद्य मंत्री के. वी. थॉमस ने कहा कि यह विधेयक वहनीय दरों पर लोगों को खाद्य और पोषक तत्व की सुरक्षा प्रदान करेगा. करीब 10 घंटे की बहस के पश्चात् राज्यसभा ने इसे पारित किया है. अब इस विधेयक को मंजूरी के लिये राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक, खाद्य सुरक्षा कानून कहलायेगा.
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने इसे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार का चुनावी हथकंडा करार दिया. राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक, विभिन्न राज्यों में लागू मौजूदा खाद्य योजनाओं की नई ‘पैकेजिंग’ भर है, और इसमें नया कुछ नहीं है. विपक्ष के आरोप पर कांग्रेस के नेताओं ने विधेयक को ऐतिहासिक करार दिया. उन्होंने कहा कि विधेयक गरीबों को खाद्य सुरक्षा मुहैया कराएगा.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने खाद्य सुरक्षा विधेयक के मौजूदा रूप पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि सरकार एक तरफ जनता को सस्ता भोजन उपलब्ध करा रही है, तो दूसरी तरफ ईंधन की कीमतें बढ़ाती जा रही है. माकपा सदस्य सीताराम येचुरी ने विधेयक के मौजूदा स्वरूप में उन पक्षों को गिनाया, जिन पर उनकी पार्टी राजी नहीं है. उन्होंने कहा कि विधेयक में जनता के लिए जिस हकदारी का वादा किया गया है, वह सम्मान का जीवन जीने के लिए पर्याप्त नहीं है और इससे लोगों का पेट भी नहीं भरने वाला है.
तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक के कुछ प्रावधानों ने देश के संघीय ढांचे का मजाक बना दिया है. राज्यसभा में तृणमूल नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, “यूपीए, अंडर प्रेशर एलायंस है और उसे विधेयक पारित करने की जल्दी है.” वहीं बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि गरीबों के लिए पहले भी शुरू की गई केंद्र सरकार की योजनाएं उनको लाभ दिलाने में विफल रही हैं, इसलिए खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
गौर तलब है कि यह विधेयक कांग्रेस के 2009 के चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा है और इसे 2014 के आम चुनाव के लिहाज से खेल पलटने वाला माना जा रहा है. लोकसभा में 26 अगस्त को पारित विधेयक पर सरकार की ओर से बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संसद से इस विधेयक को कानून का रूप प्रदान कर ‘ऐतिहासिक कदम’ उठाने का आग्रह किया था.