नया रायपुर की कई संपत्ति पर बैंक ने किया कब्ज़ा
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ सरकार आर्थिक मामलों में बुरे दौर से गुजर रही है. छत्तीसगढ़ सरकार बैंक का कर्ज़ नहीं चुका पाई तो एक बैंक ने नया रायपुर की कई सरकारी संपत्तियों पर कब्ज़ा कर लिया है.
बैंक की इस कार्रवाई से राज्य सरकार के अधिकारी सकते में हैं.
हालांकि राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों का कहना है कि यह कब्ज़ा महज प्रतीकात्मक है.
वहीं दूसरी ओर इस बात को लेकर भी चर्चा हो रही है कि ऐसी स्थिति क्यों बनी.
यूनियन बैंक का दावा
यूनियन बैंक के अनुसार पिछले साल 2 अगस्त को बैंक ने अटल नगर विकास प्राधिकरण को एक डिमांड नोटिस जारी किया था.
इस डिमांड नोटिस में 317 करोड़ 79 लाख 62 हज़ार 793 रुपये ब्याज समेत 60 दिनों से भीतर चुकाने के लिए कहा गया था.
लेकिन नई राजधानी के निर्माण व रख-रखाव के लिए बनाई गई राज्य सरकार की अटल नगर विकास प्राधिकरण ने यह रकम जमा नहीं की.
इसके बाद यूनियन बैंक ने 12 जनवरी को भूमि बेयरींग खसरा नं 600 (भाग), 601 (भाग), 602 (भाग), 603 (भाग), 604 (भाग), 605 (भाग), 606 (भाग) ग्राम कायाबंधा का भाग एवं ग्राम बरोडा के खसरा नंबर 2044 (भाग) की 2.659 हेक्टेयर ज़मीन को कब्ज़े में ले लिया है.
यूनियन बैंक ने रविवार को अख़बारों में विज्ञापन प्रकाशित करते हुए अपील की है कि ऋणी को विशेष रुप से एवं आम जनता को एतद द्वारा सावधान किया जाता है कि इस संपत्ति बाबत् कोई व्यवहार न करें.
ज़मीन से बेदखल किसान
यूनियन बैंक ने राज्य सरकार की जिन संपत्तियों पर कब्जा किया है, वो किसानों की ज़मीन थी.
इन ज़मीनों को औने-पौने भाव में राज्य सरकार ने हासिल किया और किसानों को बेदखल कर दिया.
पिछले महीने भर से नवा रायपुर के नाम पर विस्थापित नौ गांवों के सैकड़ों किसान धरना दे कर बैठे हुए हैं लेकिन इनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है.
किसानों की मांग
नवा रायपुर पुनर्वास योजना के अनुसार अर्जित भूमि के अनुपात में उद्यानिकी, आवासीय और व्यावसायिक भूखंड पात्रतानुसार निःशुल्क मिलने के प्रावधान का पालन किया जाए.
भू-अर्जन कानून के तहत हुए अवार्ड में भूस्वामियों को मुआवजा प्राप्त नहीं हुए हैं उन्हें बाजार मूल्य से 4 गुणा मुआवजा मिले.
नवा रायपुर क्षेत्र में ग्रामीण बसाहट का पट्टा मिले.
वार्षिकी राशि का पूर्ण रूपेण आवंटन किया जाए.
पुनर्वास पैकेज.2013 के तहत सभी वयस्कों को मिलने वाला 1200 वर्गफीट प्लॉट दिया जाए.
साल 2005 से भूमि क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल हटाया जाए.
आबादी से लगी गुमटी, चबूतरा, दुकान, व्यावसायिक परिसर को 75% प्रभावितों को लागत मूल्य पर देने के प्रावधान का पालन किया जाए.