झीरम की न्यायिक रिपोर्ट के बाद फिर होगी न्यायिक जांच
रायपुर | संवाददाता : छत्तीसगढ़ सरकार ने झीरम घाटी कांड की न्यायिक जांच की रिपोर्ट आने के सप्ताह भर के भीतर न्यायिक जांच आयोग में नया अध्यक्ष बना दिया है.
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश के अग्निहोत्री को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. इस न्यायिक जांच आयोग में हाईकोर्ट के जस्टिस जी. मिन्हाजुद्दीन को सदस्य बनाया गया है.
अब झीरम घाटी कांड की फिर से नये बिंदुओं के साथ जांच होगी.
2013 में हुए झीरम घाटी हमले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा न्यायिक जांच आयोग ने 6 नवंबर की शाम राज्यपाल अनुसूईया उइके को जांच रिपोर्ट सौंपी थी.
इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारे में विवाद शुरु हो गया था.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी आलोचना करते हुए कहा था कि मान्य परंपरा के ख़िलाफ़ इस रिपोर्ट को राज्यपाल को सौंपा गया है.
गुरुवार को अब नये अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति के साथ राज्य सरकार ने 6 महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश जारी किए हैं.
इस जांच में तीन नए जांच बिंदुओं को भी शामिल किया गया है-
1. क्या हमले के बाद पीड़ितों को समुचित चिकित्सा उपलब्ध कराई गई.
2. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या समुचित कदम उठाए गए थे.
3. अन्य महत्वपूर्ण बिंदु जो परिस्थितियों के मुताबिक आयोग निर्धारित करे.
झीरम कांड और न्यायिक जांच
25 मई 2013 को बस्तर के दरभा-झीरम इलाके से गुज़र रही कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर संदिग्ध माओवादियों ने हमला किया था.
इस हमले में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, बस्तर के आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा समेत 28 लोग मारे गये थे.
देश में किसी राजनीतिक दल पर माओवादियों का यह अब तक का सबसे बड़ा हमला था.
इस हमले की शुरु में एनआईए जांच की गई. लेकिन कांग्रेस पार्टी की मांग थी कि इस मामले में कथित रुप से किये गये षडयंत्र की सीबीआई जांच हो.
इस बीच इस घटना की जांच के लिए सरकार ने 28 मई, 2013 को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जज प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया.
इस आयोग को तीन महीने में जांच की रिपोर्ट देनी थी.
लेकिन अब जा कर आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी. अब इस रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने आयोग के नए अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति कर दी है.