छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों की स्थाई छुट्टी
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूल लगातार बंद हो रहे हैं. पिछले पांच-छह सालों से राज्य में प्राथमिक स्कूलों को बंद किया जा रहा है.जाहिर है, जब प्राथमिक अध्ययन की सुविधा ही नहीं होगी तो बच्चों के आगे पढ़ने का सवाल ही कहां पैदा होता है.
दिलचस्प ये है कि कई ज़िलों में जहां सरकारी स्कूलों को बंद किया जा रहा है, वहीं उन्हीं ज़िलों में नये निजी स्कूलों को तेज़ी से मान्यता भी मिल रही है.
भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में प्राथमिक स्कूलों की संख्या कम होती जा रही है. 2014-15 में राज्य में 35,149 स्कूल थे. लेकिन 2018-19 में यह संख्या घट कर 32811 रह गई है.
छत्तीसगढ़ में 2014-15 में प्राथमिक स्कूलों की संख्या 35,149 थी, जो 2015-16 में घट कर 32,826 रह गई. 2016-17 में यह आंकड़ा बढ़ कर 32,969 पर पहुंचा और 2017-18 में यह 33,208 तक जा पहुंचा. लेकिन 2018-19 में प्राथमिक स्कूलों की संख्या घट कर फिर 32811 रह गई.
कई ज़िलों में सरकारी स्कूलों की संख्या घट रही है और उनमें तालाबंदी की जा रही है. इसके उलट उन्हीं ज़िलों में निजी स्कूलों की संख्या बढ़ती जा रही है.
पिछले दो सालों में बिलासपुर के 87 सरकारी स्कूलों में तालाबंदी कर दी गई. जबकि इसी दौरान 27 नए निजी स्कूलों को बिलासपुर में मान्यता मिली.
माना जा रहा है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर लगातार गिरता जा रहा है. समय-समय पर राज्य सरकार ने इसका आंकलन भी किया है. स्कूली शिक्षा का हाल ये है कि आठवीं के बच्चे तीसरी कक्षा की अंग्रेजी, हिंदी, गणित को नहीं समझ पाते.
राज्य सरकार के इन्हीं आंकलनों के आधार पर सुधार के दावे भी किये गये. कभी ब्लैकबोर्ड से कंप्यूटर तो कभी डिजिटल करने की बात कही गई. लेकिन हालत में कोई बदलाव नहीं हुआ.