रमन सरकार ने कराई थी वाट्सऐप जासूसी?
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की पेगासस के जरिए वाट्सऐप से फोन हैकिंग की शिकायतों की जांच के लिए एक जांच कमेटी का गठन किया है. यह जांच कमेटी इस बात की भी जांच करेगी कि पेगासस के जरिए वॉट्सऐप यूजर्स की जासूसी करने वाली इजरायली साइबर खुफिया कंपनी एनएसओ ग्रुप ने 2017 में छत्तीसगढ़ के शीर्ष पदाधिकारियों के सामने प्रजेंटेशन दिया था. क्या राज्य सरकार इस तरह के किसी स्पाईवेयर का उपयोग कर रही थी?
वाट्सऐप के सहारे हैकिंग करने वाली इज़राइल की एक फ़र्म एनएसओ के बनाए सॉफ्टवेयर को लेकर पहले भी राज्य में चर्चा होती रही है. लेकिन ताज़ा मामले से सबके कान खड़े हो गये. कुछ पुलिस अधिकारियों ने राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जानकारी में यह बात लाई कि एनएसओ छत्तीसगढ़ में भी कई शीर्ष अधिकारियों के संपर्क में थी.
गौरतलब है कि पिछले महीने ही वाट्सएप ने कई भारतीय पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को बताया है कि एक इजरायली सॉफ्टवेयर के जरिये उनकी जासूसी की गई. ये जासूसी लोकसभा चुनाव के दौरान हुई है. जिन लोगों की जासूसी की गई है, उनके नाम पर गौर करने पर संदेह पैदा होता है कि क्या इसमें सरकार की कोई भूमिका रही है?
वाट्सएप के मुताबिक ये जासूसी 29 अप्रैल से 10 मई के बीच हुई. उस वक़्त देश में आम चुनाव हो रहे थे. वाट्सएप का कहना है कि उन्हें मई में इसका पता चला और फिर उन्होंने इसे ब्लॉक कर दिया. इसके बाद वाट्सएप के साथ मिलकर इस मामले की जांच करने वाले ग्रुप सिटीजन लैब ने लोगों से संपर्क करना शुरू किया.
छत्तीसगढ़ की जांच कमेटी
छत्तीसगढ़ में कम से कम चार मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन हैक किये जाने की खबर अब तक सामने आई है. इनमें आलोक शुक्ला, शालिनी गेरा, बेला भाटिया और डिग्री प्रसाद चौहान शामिल हैं. अब राज्य सरकार ने इस जासूसी की जांच करने का फ़ैसला किया है.
राज्य के प्रमुख सचिव गृह सुब्रत साहू के नेतृत्व में बनाई गई इस जांच टीम में रायपुर के पुलिस महानिरीक्षक आनंद छाबड़ा और राज्य के जनसंपर्क विभाग के निदेशक, तरन प्रकाश सिन्हा भी शामिल होंगे. यह जांच कमेटी एक महीने में अपनी रिपोर्ट देगी.
जांच कमेटी के लिये जारी आदेश में कहा गया है कि “हमें शिकायत मिली है कि छत्तीसगढ़ में एक सॉफ्टवेयर की मदद से फोन हैक किए गए थे…”