मोदी ने रचा इतिहास
नई दिल्ली | संवाददाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने सत्ता में शानदार वापसी की है. भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित सफलता हासिल की है.
भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दलों को ताज़ा चुनाव में 251 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों को 92 सीटों पर संतोष करना पड़ा है.
इसी तरह अलग-अलग राजनीतिक दल 99 सीटों पर सिमट गये हैं.
हालांकि पिछले चुनाव परिणाम के लिहाज से देखें तो ताज़ा चुनाव में एनडीए को 1 सीट का नुकसान हुआ है. जबकि यूपीए को 27 सीटों का लाभ हुआ है.
गुरुवार को परिणाम के रुझान आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में हार की गुरुवार को पूरी जिम्मेदारी ली और कहा कि उनके इस्तीफे का मुद्दा उनके और कांग्रेस कार्यकारिणी के बीच का है.
एनडीटीवी के अनुसार राहुल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मैं पूरी जिम्मेदारी स्वीकारता हूं.”
संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस्तीफा देंगे? राहुल ने कहा, “कार्यकारिणी की हमारी एक बैठक होगी. आप इसे मेरे और कार्यकारिणी के बीच छोड़ दें.”
राहुल गांधी ने चुनाव के दौरान पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व किया था. वहीं ऐसा लग रहा है कि पिछली बार की तरह इस बार भी लोकसभा को नेता प्रतिपक्ष नहीं मिला पाएगा. सबसे बड़ी पार्टी के पास कुल 10 प्रतिशत सांसद होने चाहिए यानी करीब 55 सांसद लेकिन सबसे बड़े दल कांग्रेस को कुल 52 सीटें ही आई हैं.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को 44 सीटें आई थीं. यानी पिछली बार से सिर्फ 11 सीटें ज्यादा आई हैं.
दूसरी ओर भाजपा को अपने दम पर बहुमत मिल चुका है. मोदी देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने जिसने पूर्ण बहुमत के साथ एक बार फिर सत्ता में वापसी की है. यहां तक कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार भी 2004 में दोबारा नहीं आ सकी थी.
पहली बार 300 के पार जानेवाली भाजपा ने यूपी में सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन के बाद भी शानदार प्रदर्शन किया है. 80 में से 62 सीटें भाजपा की झोली में आई हैं. यहां भाजपा को 49.6 फ़ीसदी वोट मिले हैं.
भाजपा की इस ऐतिहासिक जीत में अमेठी की ख़ूब चर्चा हो रही है. लोकसभा चुनाव 2019 में जहां भाजपा की स्मृति ईरानी ने लगातार 15 साल तक यहां से सांसद रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को क़रीब 55,000 वोटों से हरा दिया है.
अमेठी सदियों से गांधी परिवार का गढ़ रहा है. पिछले 39 सालों में सिर्फ़ एक बार 1998 में भाजपा यहां जीती थी, उसके अलावा हमेशा यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है. ऐसे में अमेठी से राहुल की हार कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा नुक़सान माना जा रहा है.