भीमा कोरेगांव में उछला नंदिनी सुंदर का नाम
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने दावा किया है कि भीमा कोरेगांव की हिंसा के बाद जिन पांच लोगों को निरुद्ध किया गया, उनमें दिल्ली विश्वविद्यालय की नंदिनी सुंदर भी एक थीं. वे बुधवार को विधानसभा में बोल रहे थे.
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि जनादेश के पीछे जो सोच काम कर रही है, जनादेश के पीछे कौन सी ताकतें हैं, उस लेख को मैं उद्धुत कर देता हूं.
माओवादी हिंसा को लेकर राज्य सरकार की पीड़ितों से बातचीत को लेकर अपना वक्तव्य देते हुये भाजपा के विधायक अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि माओवादियों ने बस्तर में कांग्रेस प्रत्याशियों को भीतरी क्षेत्रों तक प्रचार करने में मदद की है.
अजय चंद्राकर ने कहा कि जो नक्सल डीजी बनाया गया है, वह काम चलाऊ बनाया गया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के एक स्टार प्रचारक ने नक्सलियों को कहा कि ये क्रांतिकारी हैं, यह कांग्रेस की नीति है.
अजय चंद्राकर के इस वक्तव्य का कांग्रेस विधायकों ने भारी विरोध किया.
क्या है भीमा कोरेगांव हिंसा
पुलिस का आरोप है कि यलगार परिषद में भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल कर समाज में द्वेष और सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने का काम किया गया. इसके लिए प्रतिबंधित माओवादी संगठन की मदद ली गई. सभा में भड़काऊ भाषण, गीत, पथनाट्य इत्यादि के जरिए जनता की भावना भड़काई गईं.
आरोप है कि एक जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगांव में बड़ी संख्या में जनसमुदाय इकट्ठा हुआ. कानून व्यवस्था बिगड़ गई और हिंसा का रूप ले लिया. हिंसा में सार्वजनिक और निजी संपत्ति का नुकसान भी हुआ.
इसके बाद पुणे पुलिस ने इस मामले में 6 जून, 2018 को दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले, नागपुर विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के संकाय प्रमुख शोमा सेन, कार्यकर्ता महेश राउत और राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए काम करने वाली समिति से जुड़ी केरल निवासी रोना विल्सन को गिरफ्तार किया.
बाद में 28 अगस्त को हैदराबाद में वामपंथी कार्यकर्ता व कवि वरवर राव, मुंबई में वरनन गोन्जाल्विस और अरुण फरेरा, छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता व वकील सुधा भारद्वाज और दिल्ली में रहने वाले गौतम नवलखा को कोरेगांव भीमा हिंसा मामले में गिरफ्तार किया था. तभी से पांचों सामाजिक कार्यकर्ता नजरबंद रखे गये हैं. हालांकि गौतम नवलखा को दिल्ली हाईकोर्ट ने रिहा कर दिया था.