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प्रधानमंत्री फसल बीमा में किसानों को 25 रुपये

रायपुर | संवाददाता: प्रधानमंत्री फसल बीमा में भी छत्तीसगढ़ के किसानों को 25 रुपये थमा दिये गये हैं.बीमा करने वाली इफको टोकियो कंपनी ने सौ फीसदी अकाल की स्थिति में भी किसानों को 25 रुपये थमा दिया है. जबकि बीमा योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ लगभग 14 हज़ार रुपये की रकम का भुगतान किया जाना था. राज्य के किसान नेताओं का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जांच की जाये तो राज्य में एक बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है.

इससे पहले मौसम आधारित फसल बीमा के तहत 2014-15 में राज्य के 9,74,199 किसानों ने क़रीब 17 लाख़ हेक्टेयर भूमि की फ़सल का बीमा कराया था, जिस पर निजी क्षेत्र की सात बीमा कंपनियों को 3.35 अरब रुपए से ज़्यादा की राशि का भुगतान प्रीमियम के तौर पर किया गया था.

इन कंपनियों ने बीमा और बैंकिंग के तमाम नियमों का उल्लंघन करते हुये न केवल मनमाने तरीके से किसानों से प्रीमियम की रकम वसूली, बल्कि सूखा के कारण बीमा की रकम बांटने की बारी आई तो पूरे राज्य में इन निजी कंपनियों ने अपनी तरह के फर्जी आंकड़े तैयार किये और मनमाने तरीके से भुगतान करते हुये करोड़ों रुपये का गोलमाल किया.

2014-15 की मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अनुसार जुलाई, अगस्त और सितंबर में होने वाली बारिश को इस बीमा का आधार बनाया गया था. बीमा कंपनियों ने हर इलाके में एक मौसम केंद्र बनाया और उस मौसम केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार हर महीने की कम बारिश को आधार बना कर किसानों को बीमा का भुगतान किया जाना था. मौसम केंद्र निजी कंपनियों ने स्थापित किये थे और भुगतान भी उन्हें ही देना था. लेकिन बीमा कंपनियों ने अपने ही मौसम केंद्र की रिपोर्ट को भी आधार नहीं माना और बिना किसी आंकलन के मनमाने तरीके से किसानों को करोड़ों रुपये कम भुगतान किया गया.

छत्तीसगढ़ के सभी 27 ज़िलों में निजी बीमा कंपनियों ने मनमाने तरीके से आंकलन करते हुये किसानों को करोड़ों रुपये की चपत लगाई. हालत ये हुई कि जिन किसानों ने खेती ही नहीं की, पटवारी रिकार्ड में जिन खेतों को सूखा के कारण फहल नहीं लगाने की बात दर्ज की गई, उन किसानों से भी बीमा कंपनी ने 20-20 हजार रुपये की प्रीमियम की रकम वसूल ली. इसके उलट राज्य के कई इलाकों में बीमा कंपनियों ने सूखा के नाम पर 5-5 रुपये का मुआवज़ा भी बांट दिया.

अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी बड़ा घोटाला सामने आया है. बीमा करने वाली इफको टोकियों कंपनी ने मनमाने तरीके से आंकलन किया है और उसी तरीके से भुगतान भी किया है.

बिलासपुर ज़िले के टेकर गांव के किसान सालिक राम को इस साल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत केवल 25 रुपये का भुगतान किया गया है. गांव में ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं, जिन्हें 25 से 100 रुपये तक का भुगतान किया गया है.

इसी तरह भिलमी गांव में तो शत प्रतिशत अकाल होने के बाद भी गांव के 50 में से केवल 14 किसानों को ही भुगतान के योग्य माना है. दिलचस्प ये है कि इन किसानों को भी कंपनी ने मनमाने तरीके से भुगतान किया है. गांव के सुधाकर यादव की आठ एकड़ में फसल बर्बादी पर 6 हज़ार रुपये थमा दिये गये हैं.

किसानों का कहना है कि अगर सरकार पूरे मामले की जांच करे तो यह मौसम आधारित फसल बीमा योजना की तरह ही अरबों का घोटाला साबित हो सकता है. गौरतलब है कि मौसम आधारित फसल बीमा योजना को लेकर मनेंद्रगढ़ के रमाशंकर गुप्ता ने पहले ही हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. प्रधानमंत्री फसल बीमा को लेकर सरकारी अधिकारियों का कहना है कि अगर इस संबंध में शिकायत मिलेगी तो नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.

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