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सुकमा हमले में कंपनी कमांडर निलंबित

नई दिल्ली | संवाददाता: सुकमा में हुये नक्सली हमला मामले में सीआरपीएफ ने कंपनी कमांडर को निलंबित कर दिया है.पिछले महीने की 24 तारीख को सुकमा के बुरकापाल में माओवादियों के इस हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान मारे गये थे.इसके अलावा 7 से अधिक जवान गंभीर रुप से घायल हुये थे.

सीआरपीएफ सूत्रों के अनुसार एडिशनल डायरेक्टर जनरल की जांच के बाद कंपनी कमांडर, सहायक कमांडेंट जे विश्वनाथ को नेतत्व में कथित नाकामी के लिए निलंबित किया है, वहीं 74वीं बटालियन के कमांडिंग आफिसर फिरोज कुजुर का तबादला छत्तीसगढ़ के बाहर कर दिया गया है. कहा गया है कि विश्वनाथ ही कंपनी को ले कर इलाके में गये थे. सुकमा के बुरकापाल को लेकर सीआरपीएफ के नेतृत्व की कड़ी आलोचना हुई थी.

इससे पहले जांच रिपोर्ट के हवाले से कहा गया था कि हमले के वक्त नक्सली सीआरपीएफ जवानों से तादाद में कहीं ज्यादा थे. कुछ जवानों को 20 मीटर तक की दूरी से निशाना बनाया गया. पेट्रोलिंग के वक्त सीआरपीएफ की ये टीम दो टीमों में बंटी थी. हर टीम में 45 जवान शामिल थे. इन दोनों टीमों को 4-4 समूहों में बांटा गया था.

हर समूह 400-500 मीटर की दूरी पर गश्त लगा रहा था. नक्सलियों ने हमले के दौरान बड़ी तादाद में बच्चों, महिलाओं को बुजुर्गों को ढाल की तरह इस्तेमाल किया. उन्होंने पहले सड़क के एक ओर तैनात जवानों पर गोलियां दागीं. बाद में दूसरी टीम पर धावा बोला.

इधर छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आर के विज ने कहा था कि बुरकापाल में जब सुरक्षाबल प्रातः पुलिया के पास पहुंचे तो उस वक्त वहां माओवादी मौजूद नहीं थे. परंतु सुरक्षाबलों के लंबे समय तक वहां रूकने के कारण माओवादियों को न केवल उनकी खबर लग गई बल्कि वे एकजुट होकर बड़ी संख्या में चुपके से बुरकापाल तक पहुंच गये और सुरक्षाबलों को इसकी भनक तक नहीं लग सकी. चूंकि सुकमा के अंदरूनी क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की तैनाती नहीं है, इसलिये घटना के बाद भागते समय उन्हें घेरना मुश्किल था.

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