बस्तर में होगा माओवादियों पर हवाई हमला?
रायपुर | संवाददाता: क्या बस्तर में माओवादियों पर हवाई हमले की तैयारी हो रही है?
वायु सेना के एयर चीफ मार्शल के बस्तर दौरे को लेकर ये सवाल एक बार फिर से तेज़ हो गया है. एयर चीफ मार्शल वीरेंद्र सिंह धनोवा के दौरे के पीछे के कारणों को लेकर अटकलें जारी हैं. हालांकि राज्य सरकार पुलिस माओवादियों के खिलाफ सेना के उपयोग को लेकर साफ इंकार करती रही है. पुलिस हमेशा यह दावा करती रही है कि सेना का उपयोग केवल रक्षात्मक स्थितियों के लिये किया जायेगा.
एयर चीफ मार्शल वीरेंद्र सिंह धनोवा सोमवार को रायपुर आयेंगे और वे बस्तर में विभिन्न इलाकों का दौरा करेंगे. खबरों की मानें तो वे माओवादी मोर्चे पर काम कर रहे सुरक्षाबल और पुलिस के अफसरों से भी चर्चा करेंगे.
हालांकि सेना नें यह पहले ही साफ़ कर दिया है कि बस्तर में उनकी मौजूदगी सिर्फ प्रशिक्षण के लिए है. सेना का यह भी कहना है कि उनका माओवादियों के खिलाफ चल रहे अभियान से कोई लेना देना नहीं है.
छत्तीसगढ़ में हवाई हमले को लेकर पिछले कुछ सालों अटकलें चल रही हैं. सेना के हेलिकॉप्टर का उपयोग जवानों को लाने-ले जाने और रसद पहुंचाने के लिये होता रहा है लेकिन अप्रैल 2016 में भारतीय वायु सेना के एमआई-17 हेलिकॉप्टर ने हवाई फ़ायरिंग के अभ्यास के बाद पहली बार यह बात सामने आई कि वायुसेना माओवादियों पर हवाई हमले की तैयारी कर रही है. लेकिन वायु सेना के विशेष प्रशिक्षण प्राप्त गरुड़ कमांडो दस्ते के उड़ान और फायरिंग अभ्यास को लेकर पुलिस ने दावा किया था कि यह सुरक्षा अभ्यास था और आत्मरक्षा की स्थिति में इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दिया जा सकता है.
हालांकि बस्तर में जिस तरह से इंद्रावती टाइगर रिज़र्व के भीतर सेना और सुरक्षाबलों के लिये एयरस्ट्रिप बनाने को मंजूरी मिली, उससे इस बात को बल मिला था कि आने वाले दिनों में सेना माओवादियों के खिलाफ मुकाबले में उतर सकती है, जिसकी तैयारी कांग्रेस शासनकाल में ही होती रही है.
2010 में ही कांग्रेस सरकार ने अबूझमाड़ के इलाके में सेना के बेस कैंप को मंजूरी दी थी. इसके बाद 14 अप्रैल 2012 को थल सेना के प्रमुख जनरल वी के सिंह ने बस्तर का दौरा करके कहा था कि बस्तर में सेना के प्रशिक्षण को और विस्तार दिया जायेगा.