आज स्थापित होंगे ढोलकल के गणेश जी
दंतेवाड़ा | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के ढोलकल में बुधवार को गणेश जी की प्रतिमा फिर से प्रतिष्ठित की जायेगी. मंगलवार शाम को प्रतिमा को जोड़कर पुरातत्व विभाग ने तैयार कर लिया है. 1 फरवरी बुधवार को प्रतिमा की हल्की टचिंग की जायेगी. आदिवासी जन समूह विधि विधान से प्रतिमा को फिर से प्रतिष्ठित करेंगे.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर के ढोलकल के श्रीगणेश की प्रतिमा पहाड़ी से 1500 फीट नीचे नष्ट अवस्था में पाया गया है था. ड्रोन कैमरा की सहायता से इसे शुक्रवार को ढूंढने मे कामयाबी मिल पाई थी. दक्षिण बस्तर के फरसपाल इलाके से सटे घने जंगल और बैलाडिला की पहाड़ी से सटे ढोलकल शिखर पर स्थित प्राचीन श्रीगणेश की प्रतिमा चोरी होने की खबर गुरुवार को सामने आई थी.
पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार ढोलकल शिखर पर स्थापित दुर्लभ गणेश प्रतिमा लगभग 11वीं शताब्दी की है. इसकी स्थापना छिंदक नागवंशी राजाओं ने की थी. यह प्रतिमा पूरी तरह से ललितासन मुद्रा में है. ढोलकल की गणेश प्रतिमा वास्तुकला की दृष्टि से अत्यन्त कलात्मक है.
प्रतिमा में ऊपरी दांये हाथ में परशु, ऊपरी बांये हाथ में टूटा हुआ एक दंत, नीचे का दायाँ हाथ अभय मुद्रा में अक्षमाला धारण किए हुए तथा निचला बायाँ हाथ मोदक धारण किए हुए है. पर्यंकासन मुद्रा में बैठे हुए गणपति का सूँड बायीं ओर घूमता हुआ शिल्पांकित है. प्रतिमा के उदर में सर्प लपेटे हुए तथा जनेऊ किसी सांकल की तरह धारण किये हुए अंकित है. गणपति की जनेऊ के रूप में सांकल का सामान्य चित्रण नहीं है.
इस प्रतिमा में पैर एवं हाथों में कंकण आभूषण के रूप में शिल्पांकित है तथा सिर पर धारित मुकुट भी सुंदर अलंकरणों से संज्जित है. सरसरी निगाह से देखने पर ये प्रतिमा नवीं-दसवी शताब्दी की प्रतीत होती हैं. यह समय चक्रकोटय (प्राचीन बस्तर) की नाग सत्ता का था.