सोनू सरदार को फांसी होगी ?
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने सोनू सरदार मामले में सख्त टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दिल्ली हाईकोर्ट कैसे सोनू सरदार के फांसी पर रोक लगा सकती है. सुप्रीम कोर्ट अब 12 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने हत्याकांड को रेयरेस्ट ऑफ रेयर कहा है. छत्तीसगढ़ में डकैती के दौरान सोनू सरदार पर पांच लोगों की हत्या का आरोप सिद्ध हो चुका है. हत्याकांड में दोषी पाये जाने के बाद छत्तीसगढ़ ट्रायल कोर्ट ने सोनू सरदार को फांसी की सजा सुनाई थी. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा. यहां तक की राष्ट्रपति ने भी सोनू सरदार की याचिका ठुकरा दी थी. लेकिन बाद में दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया था.
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ सोनू सरदार के फांसी के मामले की सुनवाई पर कहा कि वह इस मामले में सुनवाई कर सकती है तथा फांसी की सजा पर रोक भी लगा सकती है.
कोर्ट सोनू की फांसी रोक नहीं सकती
छत्तीसगढ़: सोनू सरदार की फांसी तय
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि चूंकि सोनू सरदार की फांसी पर रोक से संबंधित याचिका को खारिज करने का फैसला राष्ट्रपति ने यहां किया है, इसलिये दिल्ली हाईकोर्ट मामले की सुनवाई कर सकती है. इससे पहले की सुनवाई में छत्तीसगढ़ शासन की तरफ से पेश अधिवक्ता ने कहा कि यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार से बाहर का है. इसलिये दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकती है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार के आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. मंगलवार को पीठ ने कहा कि जांच के लायक सामग्री कैबिनेट द्वारा दी गई सलाह है और सभी दस्तावेज तथा रिकार्ड दिल्ली में हैं तथा फैसला भी दिल्ली में किया गया है.
राज्य सरकार का आवेदन दोषी सोनू सरदार की मुख्य याचिका पर दायर हुआ है जिसमें मांग की गई है कि उसकी दया याचिका पर फैसले में देरी तथा उसे कथित रूप से गैरकानूनी रूप से एकांत में जेल में रखने के कारण उनका मृत्युदंड आजीवन कारावास में तब्दील किया जाये.
इधर डेथ वारंट उधर फांसी पर रोक
सोनू की फांसी का डेथ वारंट जारी
क्या है सोनू सरदार के फांसी का मामला
* सोनू सरदार समेत 5 लोगों पर 26 नवंबर 2004 को बैकुंठपुर में कबाड़ का व्यापार करने वाले शमीम अख्तर, शमीम की पत्नी रुखसाना, बेटी रानो (5), बेटे याकूब (3) और पांच माह की एक बेटी की हत्या का आरोप था.
* हत्या के कुछ दिनों बाद 4 आरोपी पकड़े गये लेकिन 1 आरोपी अभी भी फरार है. इस मामले में 2008 में निचली अदालत ने सभी को फांसी की सजा दी थी.
* इसके बाद 2010 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सभी की फांसी की सजा को बरकरार रखा. बाद में 23 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने 4 लोगों की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दी, लेकिन सोनू सरदार की फांसी की सजा बरकरार रखी थी.
* इसके बाद सोनू ने राष्ट्रपति के समक्ष याचिका लगाई थी, जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दी. भारत सरकार ने 8 मई को सोनू की मौत के फरमान पर मुहर लगाई.
* इसके बाद 19 जून 2014 को छत्तीसगढ़ के बैकुंठपुर की अदालत ने सोनू सरदार का डेथ वारंट भी जारी कर दिया था. इसके बाद सोनू को किसी भी समय फांसी दी जा सकती थी. रायपुर जेल में तो फांसी की तैयारी भी शुरु हो गई थी. लेकिन अंतिम समय में उसकी फांसी पर रोक लगा दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने रिट क्रमांक 117/2014 पर सुनवाई करते हुये सोनू सरदार की सज़ा पर रोक लगा दी थी. जस्टिस विक्रमजीत सेन और शिवाकीर्ति सिंह की खंडपीठ ने फांसी की सज़ा पर रोक लगा दी थी.