राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर सुझाव
नई दिल्ली | बीबीसी: भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2016 को लेकर आए सुझावों में से एक है स्कूलों में अंग्रेज़ी भाषा में पढ़ाई को बंद कर देने की. ये राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े संगठन, ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ की कई सुझावों में से एक है.
न्यास के मुताबिक़ सरकार ने इन सुझावों का ‘संज्ञान लेने’ का लिखित आश्वासन दिया है.
भारत के स्कूल, कॉलेज और उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई किस भाषा में हो और किन विषयों पर हो, ऐसे कई मुद्दों पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2016 में फ़ैसले लिए जाएंगे.
बीबीसी संवाददाता दिव्या आर्य से बातचीत में ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ के भाषा सलाहकार नाहर सिंह वर्मा ने सरकार को भेजे गए पांच प्रमुख सुझावों की जानकारी दी.
*प्राथमिक शिक्षा, यानि पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई प्रादेशिक राज्य भाषा में होना अनिवार्य हो.
*छठी कक्षा के बाद भी अलग-अलग विषय पढ़ाने का माध्यम प्रादेशिक राज्य भाषा रहे और अग्रेज़ी सिर्फ़ अतिरिक्त भाषा के तौर पर पढ़ाई जाए.
*विषय के तौर पर किसी भी विदेशी भाषा को कॉलेज स्तर पर ही पढ़ाया जाए.
*स्नातकोत्तर यानि पोस्ट-ग्रैजुएट स्तर की पढ़ाई का माध्यम अंग्रेज़ी के साथ-साथ प्रादेशिक राज्य भाषा भी हो.
*शोध के लिए उन्हीं विषयों का चयन हों जो ‘राष्ट्र हित’ में हों. हालांकि चयन की प्रक्रिया के बारे में कोई सुझाव नहीं दिया गया है.
भारत की पहली शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी जिसमें 1992 में बदलाव किए गए. (इनपुट बीबीसी हिन्दी. शब्दों पर जोर हमारा.)