GST पर विधानसभा का विशेष सत्र
रायपुर | संवाददाता: जीएसटी पर छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र 22 अगस्त को होगा. इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है. जीएसटी पर छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र सुबह 11 बजे शुरु होगा. इस दिन छत्तीसगढ़ विधानसभा में जीएसटी बिल को रखा जायेगा तथा इसकी अनुमति ली जायेगी.
छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव का कहना है कि जीटीएस का विरोध नहीं है परन्तु राज्य के हितों की अनदेखी नहीं की जायेगी.
उल्लेखनीय है कि केन्द्र द्वारा इस 122वें संविधान संशोधन को राज्य की विधानसभाओँ से पारित करवाना जरूरी है. इस बिल को कानून बनाने के लिये इसके लिये पचास फीसदी राज्यों की मंजूरी जरूरी है.
जीएसटी एक समान कर व्यवस्था-
जीएसटी पूरे देश के लिए एक अप्रत्यक्ष कर है जो भारत को एकीकृत साझा बाजार बना देगा. जीएसटी विनिर्माता से लेकर उपभोक्ता तक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक एकल कर है. प्रत्येक चरण पर भुगतान किए गए इनपुट करों का लाभ मूल्य संवर्धन के बाद के चरण में उपलब्ध होगा जो प्रत्येक चरण में मूल्य संवर्धन पर जीएसटी को आवश्यक रूप से एक कर बना देता है. अंतिम उपभोक्ताओं को इस प्रकार आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी ही वहन करना होगा. इससे पिछले चरणों के सभी मुनाफे समाप्त हो जाएंगे.
कर दरों और संरचनाओं की एकरूपता-
जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्यक्ष कर दरें और ढांचे पूरे देश में एकसमान हैं. इससे निश्चिंतता में तो बढ़ोतरी होगी ही व्यापार करना भी आसान हो जाएगा. दूसरे शब्दों में जीएसटी देश में व्यापार के कामकाज को कर तटस्थ बना देगा फिर चाहे व्यापार करने की जगह का चुनाव कहीं भी जाए.
करों पर कराधान (कैसकेडिंग) की समाप्ति-
मूल्य श्रृंखला और समस्त राज्यों की सीमाओं से बाहर टैक्स क्रेडिट की सुचारू प्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि करों पर कम से कम कराधान हों. इससे व्यापार करने में आने वाली छुपी हुई लागत कम होगी.
प्रतिस्पर्धा में सुधार-
व्यापार करने में लेन-देन लागत घटने से व्यापार और उद्योग के लिए प्रतिस्पर्धा में सुधार को बढ़ावा मिलेगा.
विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ-
जीएसटी में केंद्र और राज्यों के करों के शामिल होने और इनपुट वस्तुएं और सेवाएं पूर्ण और व्यापक रूप से समाहित होने और केंद्रीय बिक्री कर चरणबद्ध रूप से बाहर हो जाने से स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं और सेवाओं की लागत कम हो जाएगी. इससे भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में होने वाली प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होगी और भारतीय निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा. पूरे देश में कर दरों और प्रक्रियाओं की एकरूपता से अनुपालन लागत घटाने में लंबा रास्ता तय करना होगा.
वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के अनुपाती एकल एवं पारदर्शी कर-
केंद्र और राज्यों द्वारा लगाए गए बहुल अप्रत्यक्ष करों या मूल्य संवर्धन के प्रगामी चरणों में उपलब्ध गैर-इनपुट कर क्रेडिट के कारण आज देश में अनेक छिपे करों से अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की लागत पर प्रभाव पड़ता है. जीएसटी के अधीन विनिर्माता से लेकर उपभोक्ताओं तक केवल एक ही कर लगेगा, जिससे अंतिम उपभोक्ता पर लगने वाले करों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा.
समग्र कर भार में राहत-
निपुणता बढ़ने और कदाचार पर रोक लगने के कारण अधिकांश उपभोक्ता वस्तुओं पर समग्र कर भार कम होगा, जिससे उपभोक्तओं को लाभ मिलेगा.
केंद्र और राज्य स्तर पर कौन से करों को जीएसटी में शामिल किया जा रहा है-
केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क आमतौर पर जिसे काउंटरवेलिंग ड्यूटी के रूप में जाना जाता है, और सीमा शुल्क का विशेष अतिरिक्त शुल्क.
राज्य स्तर पर, निम्न करों को शामिल किया जा रहा है-
राज्य मूल्य संवर्धन कर/बिक्री कर. मनोरंजन कर (स्थानीय निकायों द्वारा लागू करों को छोड़कर), केंद्रीय बिक्री कर (केंद्र द्वारा लागू और राज्य द्वारा वसूल किये जाने वाला), चुंगी और प्रवेश करए, खरीद कर, विलासिता कर और लॉटरी, सट्टा और जुआ पर कर.
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