छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में सस्ती बिजली की सच्चाई

रायपुर | जेके कर: देश के सबसे गरीब राज्य छत्तीसगढ़ में सस्ती बिजली का दावा किया जा रहा है. सामाजिक अर्थशास्त्र की दृष्टि में देश के दूसरे नंबर के सबसे गरीब राज्य में यदि बिजली सस्ती है तो उसे सस्ती नहीं माना जा सकता. यदि तुलनात्मक रूप से सस्ती बिजली का दावा करना है तो छत्तीसगढ़ में बिजली की दर और सस्ती होनी चाहिये याने 1 अप्रैल से बिजली की दरों में की गई वृद्धि को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता.

उदाहरण के तौर पर गुजरात में साल 2013-14 में प्रति व्यक्ति औसत आय 1,06,831 रुपये थी तथा छत्तीसगढ़ में साल 2013-14 में प्रति व्यक्ति आय 58,547 रुपयों की है. इस तरह से छत्तीसगढ़ में गुजरात की तुलना में प्रति व्यक्ति औसत आय करीब 45 फीसदी कम है. अब जरा तुलनात्मक रूप से देखने के लिये इन दोनों राज्यों के बिजली के दर पर गौर करें. गुजरात में 100 यूनिट बिजली की माहवारी खपत पर 424 रुपये देना पड़ता है जबकि छत्तीसगढ़ में 383 रुपये. यह गुजरात की तुलना में मात्र 9.6 फीसदी कम है. इस तरह से छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति औसत आय गुजरात की तुलना में 45 फीसदी कम है परन्तु बिजली की दर महज 9.6 फीसदी ही कम है.

इसी तरह से पंजाब में साल 2013-14 में प्रति व्यक्ति औसत आय 92,638 रुपये की थी तथा छत्तीसगढ़ में साल 2013-14 में प्रति व्यक्ति आय 58,547 रुपयों की है. पंजाब की तुलना में छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति औसत आय करीब 36 फीसदी कम है. पंजाब में 100 यूनिट बिजली की खपत की दर है 521 रुपये तथा छत्तीसगढ़ में है 383 रुपये. इस प्रकार से छत्तीसगढ़ में पंजाब की तुलना में बिजली की दर 26.48 फीसदी कम है जबकि आय 36 फीसदी कम है.

कर्नाटक में साल 2013-14 में प्रति व्यक्ति औसत आय 84,709 रुपये की थी तथा छत्तीसगढ़ में साल 2013-14 में प्रति व्यक्ति आय 58,547 रुपयों की है. कर्नाटक की तुलना में भी छत्तीसगढ़ में औसत आय करीब 30 फीसदी कम है. अब जरा दोनों राज्यों के बिजली की दरों की तुना की जाये. कर्नाटक में प्रति माह 100 यूनिट बिजली की खपत की दर है 456 रुपये तथा छत्तीसगढ़ में है 383 रुपये. इस तरह से छत्तीसगढ़ में कर्नाटक की तुलना में बिजली की दर महज 16 फीसदी कम है जबकि आय 30 फीसदी कम है.

महाराष्ट्र में साल 2013-14 में प्रति व्यक्ति औसत आय थी 1,14,392 रुपये तथा छत्तीसगढ़ में साल 2013-14 में प्रति व्यक्ति आय 58,547 रुपयों की है. इस तरह से छत्तीसगढ़ की औसत आय महाराष्ट्र की तुलना में करीब 48 फीसदी कम है. महाराष्ट्र में 100 यूनिट माहवारी बिजली की खपत की दर है 610 रुपये तथा छत्तीसगढ़ में है 383 रुपये. महाराष्ट्र की तुलना में छत्तीसगढ़ में बिजली की दर 37.21 फीसदी कम है.

क्या इसे जायज़ ठहराया जा सकता है. जब कमाई ही तुलनात्मक रूप से कम है तो दाम भी उसी अनुरूप में कम होना चाहिये. कम से कम सामाजिक अर्थशास्त्र तो यही इंगित करता है.

हां, मध्यप्रदेश में साल 2013-14 में प्रति व्यक्ति औसत आय 59,770 रुपयों की थी तथा छत्तीसगढ़ में साल 2013-14 में प्रति व्यक्ति आय 58,547 रुपयों की है. इस तरह से छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति औसत आय मध्यप्रदेश की तुलना में मात्र 2 फीसदी कम है. मध्यप्रदेश में 100 यूनिट बिजली की खपत की दर 506 रुपये है तथा छत्तीसगढ़ में है 383 रुपये. गणना करने पर पता चलता है कि मध्यप्रदेश की तुलना में छत्तीसगढ़ में बिजली दर 24.30 फीसदी कम है. यहां पर निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में बिजली सस्ती है.

इसी तरह से तुलनात्मक रूप से बिहार तथा ओडीशा से छत्तीसगढ़ में बिजली सस्ती है.

पूरे देश की तुलना करने पर छत्तीसगढ़ में बिजली की दर तुनात्मक रूप से ज्यादा निकलेगी क्योंकि छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति औसत आय देश में दूसरे नंबर पर सबसे कम है.

यह है छत्तीसगढ़ में सस्ती बिजली की सच्चाई. आकड़ों को गणितीय नजरिये से ही देखना चाहिये तभी तथ्य निकलकर सामने आते हैं.

नोट: प्रति व्यक्ति औसत आय तथा छत्तीसगढ़ से बिजली की दरों की तुलना भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय तथा छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क कार्यालय द्वारा जारी सूचना के आधार पर किया गया है.

error: Content is protected !!