छत्तीसगढ़

बेरोजगारी के लिये औरतें जिम्मेवार

रायपुर | संवाददाता: स्वतंत्रता से पूर्व बहुत कम महिलाएं नौकरी करती थी लेकिन आज सभी क्षेत्रों में महिलाएं नौकरी करने लगी हैं, जिससे पुरुषों में बेरोजगारी का अनुपात बढ़ा है.

बेरोजगारी के इस कारण को पढ़ कर भले आप चौंक जायें लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद अपनी किताबों में बच्चों को यही पढ़ा रहा है. अपने पाठ्यक्रमों में तथ्यों को गड़बड़ी के लिये कुख्यात हो चुके छत्तीसगढ़ राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की 10वीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान की किताब में महिलाओं की नौकरी पर ही सवाल खड़े कर दिये हैं.

सामाजिक विज्ञान की किताब में ‘आर्थिक समस्याएं एवं चुनौतियां’ पाठ में बेरोजगारी के लिये कुल 9 कारणों को जिम्मेवार बताया गया है. जिसमें एक बड़ा कारण “महिलाओं द्वारा नौकरी” को बताया गया है. इस पाठ में कहा गया है कि-“स्वतंत्रता से पूर्व बहुत कम महिलाएं नौकरी करती थी लेकिन आज सभी क्षेत्रों में महिलाएं नौकरी करने लगी हैं, जिससे पुरुषों में बेरोजगारी का अनुपात बढ़ा है.”

इस मामले की शिकायत 23 अगस्त को जशपुर की एक शिक्षिका सौम्या गर्ग ने राज्य महिला आयोग से की थी. लेकिन आज तक इस मामले में महिला आयोग ने कोई कदम नहीं उठाया.

सौम्या गर्ग जशपुर के कांसाबेल में सरस्वती शीशु मंदिर में अवैतनिक शिक्षिका के रुप में पिछले साल भर से पढ़ा रही हैं. उनके पिता ने एमटेक करने के बाद कुछ समय तक नौकरी की और बाद में कांसाबेल में ही रह कर किराने की दुकान चलाते हैं.

सौम्या गर्ग का कहना है कि “मैं चकित हूं कि इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.”

इस पूरे मामले पर राज्य की महिला एवं विकास मंत्री रमशीला साहु ने भी नाराजगी जताई है. वे कहती हैं- “यह बहुत ही गलत बात है. ऐसा कैसे पढ़ाया जा सकता है. हम इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे.”

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