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पत्रकारों की सजा पर यूएन चिंतित

संयुक्त राष्ट्र | समाचार डेस्क: संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने मिस्र में एक अदालत द्वारा अल-जजीरा के पत्रकारों को दी गई तीन साल कारावास की सजा पर खेद जताया है. संयुक्त राष्ट्र ने रविवार को एक बयान में यह जानकारी दी है.

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, मिस्र के शीर्ष अपीली न्यायालय ने आस्ट्रेलिया के पीटर ग्रेस्टे, मिस्र मूल के कनाडाई नागरिक मोहम्मद फदल फहमी और मिस्र के प्रोड्यूसर बहर मोहम्मद को तीन साल कारावास की सजा सुनाई है.

इसके अलावा अल-जजीरा के पत्रकारों की मदद करने के लिए बचाव पक्ष के तीन अन्य लोगों को भी समान सजा मिली है. दो अन्य प्रतिवादियों को बरी कर दिया गया है.

संयुक्त राष्ट्र के बयान के अनुसार, बान ने इस मामले को शीघ्र सुलझाने की अपनी अपील दोहराई है और उन्होंने इसे अभिव्यक्ति की आजादी की हिफाजत के प्रति मिस्र की अंतर्राष्ट्रीय जवाबदेही के अनुरूप सुलझाने का आग्रह किया है.

बयान के अनुसार, बान ने मिस्र कीर दीर्घकालिक समृद्धि और स्थिरता के लिए मौलिक आजादी का आदर करने और बहुलतावाद के महत्व को रेखांकित किया.

अल-जजीरा के पत्रकारों को काहिरा में स्थित एक होटल से दिसंबर 2013 में सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार किया था. इसके पश्चात उन पर राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने वाली खबरें जारी करने का आरोप लगाया गया था.

ग्रेस्टो और फहम को पिछले साल एक आतंकवादी संगठन की मदद करने के लिए सात साल कारावास तथा बहर मोहम्मद को 10 साल कारावास की सजा सुनाई गई थी.

इसके बाद पहली जनवरी को अदालत ने इस सजा के खिलाफ एक अपील यह कहते हुए स्वीकार कर ली थी, जिसमें कहा गया था कि प्रारंभिक सुनवाई में पत्रकारों का मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ संबंध साबित नहीं हो पाया.

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