जवान ने खुद को मारी गोली
बीजापुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में पुलिस के एक जवान ने आत्महत्या की कोशिश की है. छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स के जवान अशोक शर्मा को गंभीर हालत में रायपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस का कहना है कि अशोक शर्मा मिरतूर थाना क्षेत्र में पदस्थ थे और उन्होंने शुक्रवार को अपने सर्विस रायफल से खुद को गोली मार कर जान देने की कोशिश की.
गौरतलब है कि बस्तर में पिछले कुछ समय से जवानों की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़े हैं. बस्तर में जवान काम के दबाव, खराब मौसम, रहने की खराब परिस्थितियों के कारण लगातार मानसिक तनाव में रहते हैं. घर-परिवार से दूर लगातार चलने वाले ऑपरेशन और उसमें भी अवकाश की कमी के कारण जवान बात-बात पर उत्तेजित हो जाते हैं. सीएएफ, सीआरपीएफ, बीएसएफ औऱ जिला पुलिस के जवान लगातार इन सब परेशानियों से जूझ रहे हैं. आत्महत्या के मामले में सीआरपीएफ जवानों की स्थिति सबसे भयावह है. पिछले पांच सालों में ही सीआरपीएफ के 207 जवानों ने आत्महत्या की है.
पिछले दिनों आई सीआरपीएफ की एक रिपोर्ट में भयावह आंकड़े और तथ्य सामने आये हैं. असल में 2009 से 2014 तक के सरकारी आंकड़ों को देखें तो सीआरपीएफ के जवानों की एक ऐसी भयावह तस्वीर सामने आती है, जिस पर एकबारगी यक़ीन करना मुश्किल होता है.
पूरे देश में इन छह सालों में दुश्मन से लड़ते हुये मरने वाले सीआरपीएफ के जवानों और अफसरों की संख्या 345 है, जबकि इस दौरान तरह-तरह की बीमारी, तनाव और दुर्घटनाओं में मरने वाले जवानों की संख्या 2920 है.
अकेले दिल की बीमारी से इस दौर में मरने वाले जवानों की संख्या 614 है. जबकि कैंसर से 231, एड्स से 153 और मलेरिया की चपेट में आ कर 102 जवान मारे गये.
2014 में अपनी स्थापना के 75 साल पूरे करने वाली सीआरपीएफ के जवानों की हालत को लेकर सीआरपीएफ की एक रिपोर्ट तस्वीरों के साथ विस्तार से बताती है कि जवान किन हालात में अपनी नौकरी बजा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ के भेज्जी थाने का उदाहरण देते हुये बताया गया है कि अगर जवान को किसी ऑपरेशन के दौरान गोली लग जाये तो निकटतम सुविधायुक्त अस्पताल रायपुर में है, जो भेज्जी से 450 किलोमीटर की दूरी पर है.
जवानों के पास परिजनों से संवाद के लिये केवल डिजीटल सेटेलाइट फोन टर्मिनल यानी डीएसपीटी का ही सहारा है लेकिन वह भी आम तौर पर ‘आउट ऑफ आर्डर’ होता है.
जवानों के खाने के लिये सब्जी 19 किलोमीटर दूर इंजीरम से सप्ताह में दो बार आती है. निकटतम बस स्टैंड, मोबाइल कनेक्टीविटी, एटीएम और पोस्टऑफिस 30 किलोमीटर दूर कोंटा में है. रहा सवाल राशन-पानी का, तो वो तीन महीने में एक बार 98 किलोमीटर दूर भद्राचलम से आता है.
जवान को किसी विशेष कारणों से छुट्टी पर जाना है तो भी उसे सप्ताह भर तो इंतजार करना पड़ता है. कई बार एक जवान को निर्धारित सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिये पांच सौ-छह सौ जवानों के सुरक्षा कवच की ज़रुरत पड़ती है.