जनमत के दबाव में सीबीआई जांच
भोपाल | समाचार डेस्क: शिवराज सिंह ने जनमत के चलते व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच के लिये हामी भर दी है. वैसे दिल्ली स्थित सूत्रों का कहना है कि भाजपा का आलाकमान व्यापमं से जुड़ी हो रही मौतों के कारण पार्टी की छवि को नुकसान से बचाना चाहता है. जिस शिवराज सिंह ने पहले सीबीआई जांच से इंकार कर दिया था उसके लिये रातों-रात उनका तैयार हो जाने से जाहिर है कि वह भी जनमत के दबाव में आ गयें हैं. खबर तो यह भी है कि कहीं सर्वोच्य न्यायालय सीबीआई जांच के लिये कह दे तो लेने के देने पड़ सकते हैं. यूं तो घोटाले तो देश में कई हुये हैं परन्तु ऐसा पहली बार हो रहा है कि घोटाले से जुड़े अहम सूत्रों की एक के बाद एक मौते होती जा रही है. पिछले दो दिनों से मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला मीडिया की सुर्खियों में बना हुआ है. यहां तक की प्रधानमंत्री मोदी के विदेश यात्रा का समाचार भी इसके तले दब सा गया है. कहां तो प्रधानमंत्री के विदेश यात्रा की उपलब्धियों से समाचार आने थे और कहां मीडिया में व्यापमं छा गया है.
मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने को लेकर कई दिनों तक ना-नुकुर करने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंहचौहान मंगलवार को सीबीआई जांच को तैयार हो गए, उन्होंने उच्च न्यायालय को अर्जी भेजी. इधर कांग्रेस ने जांच से संबंधित अपनी मांगों को लेकर 16 जुलाई को मध्य प्रदेश बंद का आह्वान किया. वहीं जनता दल युनाइटेड ने व्यापमं सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए संसद से संवैधानिक जांच एजेंसी बनाने की मांग की है.
मुख्यमंत्री चौहान ने मंगलवार की दोपहर में प्रेसवार्ता कर व्यापमं मामले और इससे जुड़े मामले की सीबीआई से जांच कराने के लिए उच्च न्यायालय को अनुरोधपत्र लिखने का ऐलान किया था. दोपहर बाद न्यायालय में याचिका देकर व्यापमं मामले की सीबीआई से जांच का अनुरोध किया गया. इस बात की पुष्टि जनसंपर्क विभाग के आयुक्त अनुपम राजन ने की.
सूत्रों का कहना है कि सरकार की याचिका हवाई जहाज के जरिए भोपाल से जबलपुर भेजा गया. इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई हो सकती है.
शिवराज सीबीआई जांच को तैयार तब हुए, जब सर्वोच्च न्यायालय ने व्यापमं मामले की सीबीआई जांच वाली सभी याचिकाओं की सुनवाई की तारीख 9 जुलाई तय की दी.
शिवराज को ‘शवराज’ कहने वाली कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं, अगर वे वाकई में सीबीआई से जांच चाहते तो निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते. उन्हें सीबीआई जांच के लिए पत्र कार्मिक विभाग को लिखना चाहिए था.
मोहन प्रकाश ने सीधे तौर पर व्यापमं घोटाले और उससे जुड़े लोगों की हो रही मौतों के लिए मुख्यमंत्री चौहान को जिम्मेदार ठहराते हुए उनसे इस्तीफा मांगा. उनका कहना है कि इस सब के लिए नैतिक और भौतिक तौर पर चौहान ही जिम्मेदार हैं. राज्य में भय का माहौल है, और इससे जुड़े लोग अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
वहीं, शिवराज ने संवाददाता सम्मेलन में सफाई पेश करते हुए कहा कि राज्य में पीएमटी में हुई गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद ही उन्होंने यह मामला एसटीएफ को सौंपा था. फिर उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया. एसआईटी की देखरेख में एसटीएफ जांच कर रही है. राज्य सरकार का इस जांच से अब कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने कहा, “जनता भी सच जानना चाहती है, इसलिए सवालों का समाधान जरूरी है. मैं जनमत के आगे शीष झुकाता हूं और उच्च न्यायालय को एक अनुरोध पत्र लिख रहा हूं कि वे व्यापमं मामले की जांच सीबीआई से कराने की कृपा करें.”
उधर, कांग्रेस ने जांच से संबंधित मांगों को लेकर लेकर 16 जुलाई को मध्य प्रदेश बंद का आह्वान किया है.
जनता दल युनाइटेड की मध्य प्रदेश इकाई ने व्यावसायिक परीक्षा मंडल, व्यापमं सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए संसद से संवैधानिक जांच एजेंसी बनाने की मांग की है.
राजधानी भोपाल में पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद यादव ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि राज्य और देश की विभिन्न परीक्षाएं सवालों के घेरे में हैं. कई बार प्रश्नपत्र लीक हुए और भर्ती कराने वाले पकड़े गए है. देश की हर एजेंसी राज्य और केंद्र सरकार के अधीन आती है. केंद्र और मध्य प्रदेश में एक ही पार्टी की सरकार है, लिहाजा जांच निष्पक्ष होना मुश्किल है. इसलिए जरूरी है कि संसद संवैधानिक जांच एजेंसी बनाए.
उल्लेखनीय है कि सीबीआई जांच के लिए उच्च न्यायालय को पत्र लिखने के एक दिन पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह सहित भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने कहा था कि व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच की आवश्यकता नहीं है, लेकिन विपक्ष के कड़े तेवर और केंद्रीय मंत्री उमा भारती द्वारा सीबीआई जांच की मांग के बाद शिवराज सरकार बैकफुट पर आ गई. अपनी तीसरी पारी में शिवराज सिंह को व्यापमं घोटाले के कारण ऐसा जन दबाव झेलना पड़ेगा किसने सोचा था.