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शिवराज सिंह का ‘राग नमो’

भोपाल | समाचार डेस्क: मध्य प्रदेश के भाजपाई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इन दिनों नमो-नमो याने नरेन्द्र मोदी की माला जप रहें हैं. यह वही शिवराज सिंह हैं जो 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले खुद को प्रधानमंत्री पद के योग्य उम्मीदवार के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे थे. जब मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी को किनारे करना शुरु कर दिया था तब भोपाल से उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की बात उड़ी थी. आज वही शिवराज सिंह चौहान पूरी तरह से मोदी के सामने नतमस्तक हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रसन्नता और अप्रसन्नता भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के लिए मायने रखती है. यही कारण है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं को मोदी का करीबी बताने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देते. वह राज्य में स्वयं को मोदी के ‘ब्रांड एंबेस्डर’ की तरह पेश करने में लगे हुए हैं.

एक समय था, जब शिवराज की गिनती मोदी विरोधियों के तौर पर होती थी. सच यह भी है कि मोदी विरोधी पार्टी कार्यकर्ता वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले शिवराज को मोदी से बेहतर नेता बताने से भी नहीं चूकते थे, लेकिन अब स्थितियां-परिस्थितियां बदली हुई हैं. मोदी देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं और शिवराज मध्यप्रदेश में अपनी कुर्सी बचाए हुए हैं.

मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद उन सारे नेताओं को हाशिए पर ला दिया है, जिनकी कभी पार्टी में तूती बोला करती थी. वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से लेकर मुरली मनोहर जोशी, राम जेठमलानी, सुब्रमण्यम स्वामी की स्थिति आज किसी से छिपी नहीं है.

मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर शिवराज ने अपने बदले रुख को व्यक्त करने में समय नहीं लगाया. 26 मई को राज्य के लगभग सभी समाचारपत्रों में उन्होंने एक आलेख लिखा, जिसमें शिवराज ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना और नकद सब्सिडी हस्तांतरण के तहत राज्य में किए गए कामों का लेखा-जोखा देने के साथ प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति और अटल पेंशन योजना के लिए अभियान चलाने का वादा भी किया.

इन दिनों राज्य के क्षेत्रीय समाचार चैनलों पर एक विज्ञापन प्रचारित हो रहा है, जिसमें शिवराज प्रधानमंत्री मोदी को ‘युगद्रष्टा’ बताते दिख रहे हैं.

लगभग दो मिनट के इस विज्ञापन में शिवराज मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं की सफलता का ब्योरा दे रहे हैं. इस विज्ञापन में शिवराज कहते दिख रहे हैं, “पिछला साल सबका साथ, सबके विकास का साल रहा. देश में नीतिगत अवरोध समाप्त हो गया है, नया आत्मविश्वास जागृत हुआ है, नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेता बनकर उभरे हैं. केंद्र सरकार फटाफट फैसले लेने की दिशा में आगे बढ़ रही है, देश की विकास दर बढ़ रही है, महंगाई घट रही है.” इस विज्ञापन में वॉइस ओवर भी मुख्यमंत्री शिवराज ने ही दिया है.

राज्य के क्षेत्रीय समाचार चैनलों पर चल रहे इस विज्ञापन में मोदी के साथ चौहान की कई तस्वीरें हैं. यह विज्ञापन जनसंपर्क संचारनालय ने तैयार कराया है. इस बात की पुष्टि संचालक अनिल माथुर ने आईएएनएस से चर्चा के दौरान की है.

शिवराज के अपने राज्य में मोदी के ब्रांड एंबेस्डर के तौर पर नजर आने के बारे में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गिरिजा शंकर का कहना है, “शिवराज यह सब मोदी के लिए कर रहे हैं. उन्होंने मोदी सरकार की खूब प्रशंसा भी की है, मगर इससे कुछ होने वाला नहीं है, क्योंकि वे जो कह रहे हैं, वह राज्य से बाहर तो जा नहीं रहा है.”

वहीं, अन्य राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि वर्तमान दौर में राज्य में किसान मुसीबत के दौर से गुजर रहा है और राज्य के मुखिया द्वारा अपने राजनीतिक हित साधने के लिए जनता के पैसे की बर्बादी किसी भी सूरत में उचित नहीं मानी जाएगी. बेहतर होता कि सरकार किसानों के हित में इस राशि का इस्तेमाल करती.

शिवराज की गिनती कभी भाजपा के ‘भीष्म पितामह’ आडवाणी के करीबी के तौर पर हुआ करती थी, लेकिन अब स्थिति बदल गई है. शिवराज अपने राजनीतिक भविष्य को संवारने के लिए आडवाणी के बजाय मोदी से करीबी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है!

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