नसबंदी कांड ने देश को दहलाया: डॉ. महंत
कोरबा | अब्दुल असलम: चरणदास दास महंत ने नसबंदी से महिलाओं की मौत पर प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा है. पूर्व केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री व कोरबा के निवृत्तमान सांसद डॉ. चरणदास महंत ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पेंडारी में आयोजित नसबंदी शिविर में नसबंदी कराने वाली महिलाओं में से 14 महिलाओं की इंफेक्शन से मौत पर गहरा दुख प्रकट किया है. उन्होंने एक दर्जन से अधिक महिलाओं की गंभीर हालत पर चिंता व्यक्त की है. डॉ. महंत ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल की घोर लापरवाही और उदासीन प्रवृत्ति के चिकित्सकों को दिए जा रहे खुला संरक्षण का ही दुष्परिणाम है कि नसबंदी जैसे छोटे ऑपरेशन में 14 महिलाओं की मौत हुई है.
नसबंदी करने वाले चिकित्सक दल द्वारा लक्ष्य को पूरा करने की होड़ में जल्दबाजी में एक ही सुई से कई लोगों को टांके लगाने के कारण हुई इस घटना के लिए सीधे तौर पर प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य मंत्री जिम्मेदार हैं. प्रदेश में अब तो ऑपरेशन कराना भी जानलेवा हो गया है.
चरणदास महंत ने कहा कि इससे पहले मोतियाबिंद शिविर में ऑपरेशन कराने वाले दर्जनों वृद्ध अपनी आंखें गंवा बैठे. ऑपरेशन के दौरान महिलाओं के गर्भाशय निकाल लिए गए लेकिन सरकार का रवैया ढुलमुल रहा. दिखावे के लिए कार्रवाई की गई किन्तु इस तरह के मामलों की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. इसी का दुष्परिणाम नसबंदी कराने वाली महिलाओं की मौत के रूप में सामने आया है.
डॉ. महंत ने आरोप लगाया है कि रमन राज में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, ऐसे मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को नैतिकता के नाते इस्तीफा दे देना चाहिए. प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा पूरे छत्तीसगढ़ में घटना के विरोध में प्रदर्शन कर बंद कराया गया. प्रदेश की जनता पर होने वाले सभी तरह के अत्याचारों का कांग्रेस शुरू से विरोध करती आई है और प्रभावी ढंग से विरोध दर्ज कराने का यह सिलसिला जारी रहेगा.
डॉ. महंत ने इस मामले में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल और केन्द्र सरकार में प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति से भी कठोर कार्रवाई करने का आग्रह किया है, क्योंकि लक्ष्य हासिल करने की होड़ में विलुप्तप्राय हो चुकी संरक्षित बैगा जनजाति की महिलाओं की भी नसबंदी कर दी गई. छत्तीसगढ़ में आदिवासियों, जनजातियों जो कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र माने जाते हैं, की नसबंदी पर प्रतिबंध के बाद भी ऑपरेशन किया गया जो किसी भी दृष्टिकोण से क्षम्य नहीं है.