आलोचनात्मक नजरिए ने बनाया कार्टूनिस्ट
रायपुर | एजेंसी: प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट इरफान का कहना है कि उनमें कुव्यवस्था को लेकर गुस्सा मौजूद रहता है. इसी कारण से इसको लेकर उनका हमेशा से एक आलोचनात्मक नजरिया रहा है, यही कारण है कि वह कार्टूनिस्ट बने. बकौल इरफान, इस क्षेत्र में बने रहने के लिए अध्ययन सबसे ज्यादा जरूरी है. रोजाना अखबारों की हेडलाइन क्या है राजनीतिक हवा कैसी चल रही है, इन बातों को जानना और समझना बहुत जरूरी होता है.
छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग और राजकमल प्रकाशन समूह की ओर से आयोजित लेखक-पाठक संवाद के दौरान उन्होंने कहा, “मैंने आडवाणी और अमर सिंह पर खूब कार्टून बनाए हैं. एक बार मैंने वैजयंती माला का कार्टून बनाया था, उन्हें पेश करने के लिए मैं होटल पहुंचा, लेकिन जैसे ही उन्होंने अपना कार्टून देखा, नाराज हो गईं और होटल छोड़कर चली गईं. वो कार्टून थोड़ा सा फनी था.”
नेताओं और सत्ता पक्ष पर लगातार कार्टून के जरिए किए जाने वाले प्रहार के बारे में उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष जब तक रहेगा, उन पर कार्टून बनते रहेंगे.
कार्टूनिस्ट की नई पौध के बारे में उन्होंने कहा कि इस फील्ड में आने वालों की तादाद कम है, लेकिन जो भी आ रहे हैं वे बेहतर हैं.
इरफान ने कहा कि हर व्यक्ति का चेहरा कुछ न कुछ कहता है, जिसके आधार पर ही हम कार्टूनिस्ट केरिकेचर तैयार करते हैं. जैसे विराट कोहली की भवें मोटी है, उनके इसी मुख्य पहलू को ध्यान में रखकर विराट का केरिकेचर तैयार किया जा सकता है.
‘हिंदी हैं हम’ कार्यक्रम के तहत इरफान ने बच्चों को लेखन और कार्टून कला से अवगत कराया. इस दौरान बच्चों की विशेष मांग पर उन्होंने बच्चों को रमन सिंह, मनमोहन सिंह व विराट के केरिकेचर बनाकर दिखाए.
कार्यक्रम के दौरान इरफान ने बताया कि जीवन में परिस्थितियों, व्यक्तियों और घटनाओं में छिपे मनोरंजक तथ्यों को पकड़ना ही कार्टून कला का मुख्य आधार है. आप किसी विषय पर कितना समझ सकते हैं, यह कार्टून का मुख्य आधार है.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. जवाहर सूरीसेट्टी ने कहा कि बच्चों के नैसर्गिक प्रतिभा के संवर्धन, संरक्षण एवं प्रोत्साहन के लिए इस प्रकार का आयोजन जरूरी है. इससे बच्चों के विभिन्न कलाओं में रुचि बढ़ती है.
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित बाल कथाकार अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि अध्ययन की निरंतरता ही आपकी सोच को निखारती है और आपको अपने ज्ञान का प्रदर्शन सही ढंग से करने की प्रेरणा भी देती है. कम जानने वाला छात्र भी यदि सही तरह से लिखना सीख जाएं तो वह ज्यादा पढ़ने वालों से बहुत पीछे नहीं रहेगा.
उन्होंने कहा कि जीवन में सोचने, समझने और अपनी भावनाओं को शब्दों के सही चयन से प्रभावी ढंग से अभिव्यक्त किया जा सकता है. उन्होंने बच्चों को कहानी, निबंध, पत्र और परीक्षाओं में लेखन के बारे में समझाया.
इरफान ने कहा कि परीक्षा में लिखने के दौरान प्रश्नों को समझकर ही उत्तर लिखना चाहिए. बच्चों को कभी भी पढ़ना बंद नहीं करना चाहिए, जितना भी पढ़ो कम होता है.