बिलासपुर

जहरीले जीव के काटने से छात्रा की मौत

रतनपुर | उस्मान कुरैशी: छत्तीसगढ़ के निजी स्कूल में पढ़ने गई कक्षा चौथी की छात्रा को जहरीले जंतु ने काट लिया. हालत बिगड़ने पर उपचार के लिए अस्पताल लाते समय बच्ची ने दम तोड़ दिया. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रतनपुर, छत्तीसगढ़ में मौजूद डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. घटना पर रतनपुर पुलिस ने मर्ग कायम कर लिया है.

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत गोंदइया निवासी दशरथ केवट राज मिस्त्री के साथ सेंटिंग का काम करता है. उसकी पत्नी सोनमती गांव में ही होटल चलाती है. उनकी दस वर्षीय पुत्री दुर्गा केवट गांव के ही सरस्वती शिशु मंदिर में चौथी की छात्रा थी. स्कूल कृषि विभाग के सरकरी भवन में लगती है. मंगलवार की सुबह दुर्गा स्कूल में थी. कमरे में लंच करने के दौरान किसी जहरीले जंतु ने उसे काट लिया.

मां सोनमती के मुताबिक दुर्गा की हाल बिगड़ने पर स्कूल के बच्चे उसे होटल लेकर आए. शिक्षकों ने छूछवा काटने की बात कहते हुए उसे यहां भिजवा दिया. दुर्गा के पैर के अगुठे पर किसी जंतु के काटने के निशान दिख रहे थे. बेटी की तबियत बिगड़ने पर आनन फानन में मां सोनमती उसे उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रतनपुर लेकर आई. यहां अस्पताल में मौजूद डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. घटना पर रतनपुर पुलिस ने मर्ग कायम कर लिया है. मौत के कारणों का खुलासा पीएम रिपोर्ट के आने के बाद ही हो पाएगा.

घटना पर स्कूल के प्रधानाचार्य रामायण कैवर्त का कहना है कि लंच के समय बच्चे कमरे में बैठकर खाना खा रहे थे. इसी दौरान बच्चों ने आकर दुर्गा को छूछवा के द्वारा काटे जाने की जानकारी दी. मैने इसकी सूचना मोबाइल पर दशरथ को दी . उन्होने बच्ची को होटल में छोड़े जाने की बात कही.

सर्प दंश से मौत की आशंका
मृतक बच्ची के पैर के अंगुठे पर दिखाई पड़ रहे निषान से सर्प दंश की आशंका व्यक्त की जा रही है. मां सोनमती के मुताबिक शिक्षकों ने दुर्गा को छूछवा के काटने की बात कही. छूछवा के द्वारा काटे जाने के बाद बच्चे की इतनी जल्दी मौत हो जाने की घटना किसी के गले नही उतर रही.

निजी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर उठे सवाल
गोंदइया के सरस्वती शिशु मंदिर में 122 बच्चे पढ़ते है. अभी स्कूल का संचालन कृषि विभाग के सरकारी भवन में चल रहा है. बच्चे जमीन में बैठकर पढ़ाई करते है. घटना के दिन स्कूल में 110 बच्चों की उपस्थिति थी. निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के लागू होने के बाद भी तय मानकों को दरकिनार कर स्कूलों का संचालन किया जा रहा है. जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से ऐसे स्कूलों के संचालन व मान्यता को खुली छूट भी मिली हुई है. शिक्षक हादसे के शिकार बच्चे को प्राथमिक उपचार मुहैया कराने के बजाय पालक को सूचना देकर अपना पल्ला झाड़ लिया. ऐसे में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है.

error: Content is protected !!