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अखिलेश के हाथों से फिसल रहा है यूपी ?

लखनऊ | एजेंसी: क्या उत्तर प्रदेश अखिलेश यादव के हाथों से फिसल रहा है? यहां तक कि अखिलेश पिछले महीने हुए लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर आलोचनाओं से जूझ रहे हैं, फिर भी नजरें उनके दबंग चाचा और रौबदार पिता एवं पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की छत्रछाया से वे उबरते हैं या नहीं इसी पर टिकी हैं.

इन सबके बीच अखिलेश ने मृतप्राय नौकरशाही और पार्टी नेतृत्व पर कुछ हद तक नियंत्रण पाने का प्रयास किया है. इस दिशा में उन्होंने मंत्रिमंडल में फेरबदल, मंत्रियों को बर्खास्त करने और नौकरशाहों के तबादले किए हैं. उनका यह कदम भी बहुत थोड़ा और बहुत देर से उठाया गया माना जा रहा है.

अखिलेश यादव धीरे-धीरे महत्वपूर्ण फैसलों से दरकिनार किए जा रहे हैं. इस बात का नमूना शुक्रवार को तब देखने को मिला जब उनके तीसरे बजट में उनकी पसंदीदा परियोजनाएं कन्या विद्या धन, 12वीं पास करने वाले छात्रों को मुफ्त लैपटॉप और बेरोजगारी भत्ता से हाथ खींचने पर मजबूर होना पड़ा. इन योजनाओं के लिए 2014-15 में एक पैसा आवंटित नहीं किया गया है.

मुख्यमंत्री के एक करीबी नेता ने स्वीकार किया कि सपा नेतृत्व की तरफ से यह स्पष्ट संकेत है कि इन योजनाओं का लोकसभा चुनाव में फायदा नहीं मिला, इसलिए इन्हें बंद करना ही बेहतर समझा गया.

एक जानकार सूत्र ने कहा कि पर्यावरण अभियंता से राजनीति में कूदे अखिलेश के वर्ष 2012 में राज्य के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता में आने के बाद से जोश-ओ-खरोश रहा, लेकिन इस बार का बजट सपा नेतृत्व का साफ तौर पर अखिलेश की योजनाओं और उनके कामकाज की शैली के खिलाफ ‘बेचैनी और आग्रही’ दस्तावेज है.

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