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अब सपा ने सरकार को धमकाया

नई दिल्ली | संवाददाता: समाजवादी पार्टी की धमकी के बाद केंद्र की मनमोहन सरकार एक बार फिर से संकट में आ गई है. डीएमके के समर्थन वापसी के बाद जिस समाजवादी पार्टी के भरोसे उन्हें अपने स्थिर रहने की उम्मीद थी, उसी समाजवादी पार्टी ने सरकार को धमकाना शुरु कर दिया है. लोकसभा में इसका पहला नजारा बुधवार को उस समय नजर आया, जब समाजवादी पार्टी अपने नेता मुलायम सिंह को भला-बुरा कहने वाले बेनी प्रसाद वर्मा के इस्तीफे की मांग पर अड़ गई.

डीएमके के हटने के बाद अब सत्ताधारी गठबंधन के पास 232 सांसद ही बच गए हैं. पिछले साल एफडीआई के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के हटने के बाद पहले ही अल्पमत में आ चुकी यूपीए-दो सरकार के सामने अब कार्यकाल पूरा करने की चुनौती बढ़ गई है. उनके सामने बसपा और समाजवादी पार्टी से समर्थन लेना मजबूरी है. लेकिन बेनी वर्मा को हटाने की मांग पर अब समाजवादी पार्टी भी सख्त हो गई है.

बुधवार को समाजवादी पार्टी सांसदों ने इस मुद्दे पर हंगामा किया. हंगामे के कारण लोकसभा को स्थगित करना पड़ा. राज्यसभा की कार्यवाही शुरू नहीं हो पाई. हालांकि, इस मुद्दे पर सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने कहा कि बेनी बाबू के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी से बात हो गई है. हमने खेद जता दिया है. यह बात अब खत्म हो गई है. इसके अलावा समाजवादी पार्टी ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व पर ही सवाल उठा दिया. समाजवादी पार्टी का कहना है कि मनमोहन से बेहतर प्रधानमंत्री तो वाजपेयी थे, जो सबको लेकर चलते थे.

श्रीलंका में तमिलों के मानवाधिकार के मुद्दे पर डीएमके ने यूपीए सरकार का साथ छोड़ दिया है. बुधवार को डीएमके के मंत्री बुधवार को मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा भी सौंप देंगे. सरकार के लिए राहत की बात यह है कि अब तक हर संकट में उसके लिए संकटमोचक रहीं समाजवादी पार्टी और बसपा पार्टी फिर सरकार की खेवनहार बनी हुई हैं. लेकिन, समाजवादी पार्टी ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस को धमकी भी दे दी है.

समाजवादी पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि अभी तो हम सरकार को समर्थन दे रहे हैं, लेकिन कब तक देंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है. साथ ही समाजवादी पार्टी ने समर्थन की कीमत वसूलनी शुरू कर दी है. यादव ने कहा कि कांग्रेस की गलतियों से कई दल यूपीए को छोड़कर अलग हो रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस को आत्मचिंतन करने की जरूरत है.

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