सुहाग को लेकर वीके सिंह से जेटली की ठनी
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा ले. जनरल दलबीर सिंह सुहाग की नियुक्ति अंतिम है और इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए. गौरतलब है कि ने मंगलवार को ट्वीटर के माध्यम से कहा कि “उन्होंने जनरल के नाते तब के लेफ्टिनेंट जनरल के खिलाफ जो किया, सही किया. पूर्व जनरल ने लिखा है, अगर कोई यूनिट मासूमों को मारती है, डकैती करती है, और उसका प्रमुख उन्हें बचाने की कोशिश करता है, तो क्या उस पर इल्जाम नहीं लगाया जाना चाहिए और क्या उसे छोड़ देना चाहिए.”
अपने दूसरे ट्वीट में पीर्व जनरल वीके सिंह ने कहा है कि “अब सरकार ने जो हलफनामा दिया है, वह पिछली सरकार का बनाया हुआ है और पिछली सरकार की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण थी. राजग सरकार के रक्षा मंत्रालय ने वही हलफनामा दिया है जो आर्म्ड फोर्सेस ट्राइब्यूनल को बचाने वाली और धूर्त यूपीए सरकार ने दिया था. इसमें नया क्या है?” वीके सिंह के इस ट्वीट का हवाला देते हुए कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि पूर्वोत्तर मामलों के राज्य मंत्री तथा विदेश एवं प्रवासी भारतीय मामलों के राज्य मंत्री वीके सिंह ने कल टि्वटर पर कुछ ऐसे वक्तव्य दिए जो सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर थे और ऐसा करना उचित नहीं है.
गौरतलब है कि वीके सिंह ने 2012 में लेफ्टिनेंट जनरल रहे दलबीर सुहाग के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी. उन्हीं सुहाग को यूपीए सरकार ने जाते-जाते आर्मी चीफ बना दिया. वह 31 जुलाई को रिटायर हो रहे जनरल बिक्रम सिंह की जगह लेंगे.
वीके सिंह के ट्वीट के उलट राज्यसभा में बुधवार को रक्षा मंक्षी अरूण जेटली ने कहा कि देश में यह परंपरा रही है कि सैन्य मामलों से जुड़े मुद्दों को राजनीति से अलग रखा जाता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अगले सेना प्रमुख के पद पर लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग की नियुक्ति का निर्णय अंतिम है.
जनरल सुहाग को विवादों में घसीटने के लिये कांग्रेस ने मंत्री वीके सिंह पर हमला बोल दिया है. कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने वीके सिंह पर तंज किया है कि मोदी सरकार का हलफनामा दिखाता है कि वीके सिंह पर सरकार का विश्वास नहीं है. इसलिए यह मंत्री कैबिनेट में नहीं रह सकता.
बहरहाल, अगले सेना अध्यक्ष के रूप में जनरल दलबीर सिंह की नियुक्ति को लेकर रक्षा मंत्री अरूण जेटली तथा विदेश एवं प्रवासी भारतीय मामलों के राज्य मंत्री रिटायर्ड जनरल वीके सिंह के बयान परस्पर विरोधी हैं जिससे मोदी सरकार की राज्य सभा में फजीहत हुई है. जिसका कांग्रेस ने पूरा फायदा उठाया है.