उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में दिखा बाघ
रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ के उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में 10 साल बाद बाघ (टाइगर) नजर आया है. पानी पीने के लिए जा रहा बाघ जंगल में छिपाकर लगाए गए कैमरे में कैद हो गया.
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) रामप्रकाश ने कहा कि बाघ की मौजूदगी की वजह से अब वहां शिकार का खतरा बढ़ गया है. इसके लिए एंटी पोचिंग स्क्वाड की गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. अफसरों से कहा है कि मॉनीटरिंग खुद करें.
अथॉरिटी (एनटीसीए) ने 2009 में उदंती-सीतानदी सेंचुरी को टाइगर रिजर्व घोषित किया था. तब से अब तक इस जंगल के संरक्षण और वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए 13 करोड़ रुपये दिए गए. यह रकम खर्च हो गई, तब बाघ की एक झलक नजर आई. उदंती में 2004 के बाद से अब तक बाघ नहीं देखा गया था. उसके बाद से केवल मौजूदगी के दावे होते रहे.
एनटीसी ने जब वहां बाघ की मौजूदगी के पुख्ता सबूत मांगे, तब वन विभाग ने पिछले साल मार्च-अप्रैल में उदंती-सीतानदी के कोर एरिया का नए सिरे से सर्वेक्षण किया. इसके बाद दो दर्जन जगह चुनकर कैमरे लगाए. हर महीने इन कैमरों की रिकार्डिग चेक की जा रही थी.
पिछले महीने जब रिकार्डिग देखी गई, तब एक में बाघ की तस्वीर मिल गई. इसके बाद वन मुख्यालय और गरियाबंद जोन के अफसर बाघ की सुरक्षा को लेकर अलर्ट कर दिए गए.
कैमरा लगाने के बाद उसमें बाघ की तस्वीर कैद होगी या नहीं, यह जानने के लिए अफसर बाघ जैसे हाथ-पांव के बल पर चले थे. जंगलों में तस्वीर खींचने वाला कैमरा ऑटोमेटिक होता है. कैमरे के सामने से किसी भी चीज के गुजरते ही वह ऑटोमेटिक ऑन होकर तस्वीर खींच लेता है. इस तरह का प्रयोग अचानकमार टाइगर रिजर्व फारेस्ट में किया जा चुका है.
उदंती में नक्सली आंदोलन के कारण हालात हालांकि जुदा थे, इसके बावजूद जब बाघ की मौजूदगी का पुख्ता प्रमाण जानने के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा, तब यहां कैमरे लगाए गए.
दरअसल, उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में नक्सलियों की गतिविधियां बढ़ गई हैं. इस वजह से शिकार रोधी दस्ता पूरे इलाके की तलाशी नहीं कर पा रहा है. अफसरों ने बताया कि कैमरे भी इसी कारण सभी संभावित जगहों पर नहीं लगाए जा सके हैं. फिर भी एक कैमरे में बाघ नजर आने को वन विभाग बड़ी उपलब्धि मान रहा है.