जोगी के खत पर मचा बवाल
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के मरवाही विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओँ को लिखे पत्र को लेकर सियासी हलकों में बवाल मचा हुआ है. आगामी विधानसभा चुनावों को जोगी का अंतिम चुनाव बताते हुए पत्र में जोगी ने जनता से मतों के अंतर को बढ़ाने की अपील भी की है जिसे लेकर भाजपा ने चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज कराई है.
पत्र के सामने आने के बाद राज्य में कुछ लोग मान रहे हैं कि जोगी इस विधानसभा के बाद सन्यास भी ले सकते हैं जबकि कई का मानना है कि मतों का अंतर बढाने के लिहाज से यह जोगी का सियासी हथकंडा है. अजीत जोगी के रायपुर स्थित सागौन बंगले का पता लिखे इस प्रिंटेड पत्र को लेकर मरवाही की स्थानीय राजनीति ऊफान पर आ गई है लेकिन अजीत जोगी की तरफ से इस पत्र के भेजे जाने के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
यह है अजीत जोगी का पत्र:
प्रिय बन्धु,
आपको यह पत्र मैं भावनाओं में बहते हुए लिख रहा हूं…. संभवतः 2013 का विधानसभा चुनाव मेरा अन्तिम चुनाव होगा. मैं और मेरे परिवार के लिए मरवाही कभी भी चुनाव क्षेत्र नहीं रहा. हमारे लिए ये तीरथ है, धाम ह. आपकी आँखों का प्यार मेरे लिए मोक्ष है.
आपके स्नेह और सहयोग से मुझे तीन बार प्रचण्ण बहुमत से आपका विधायक बनने का अवसर प्राप्त हुआ. हर बार आपने मुझे प्रदेश में सबसे अधिक वोटों के अन्तर से विजय दिलाई. बार-बार जन्म लेकर भी मैं यह ज्ञण कदापि चुका नहीं पाऊंगा. यदि आने वाली मेरी दस पीढ़ियां भी आपकी सेवा करें, तब भी आपने मुझे जो प्रेम और आशीर्वाद दिया है, मैं उसकी भरपाई कभी नहीं कर सकूंगा.
आपके कमिया के रप में मैंने अपने जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं. जब मैं प्रदेश का मुख्यमंत्री था, तब आपसे जिस अपनत्व का संबंध रहा, उसमें आपने उस समय में भी कोई परिवर्तन नहीं किया, जब एक भयंकर दुर्घटना का शिकार होकर मैं मौत के एकदम करीब पहुँच गया था. जब किसी को उम्मीद ही नहीं थी कि मैं जीवित बच सकूंगा, तब भी आपने अपने आराध्य से मे जीवन के लिए प्रार्थना की और वह आपकी दुवाओं का ही असर था कि मुझे एक नया जीवन मिला. जब मेरे हाथ से सत्ता चली गयी और मेरे विरोधियों ने मुझे कमजोर बताने और बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, तब भी आप कंधे से कंधा मिलाकर मेरे साथ चलते रहे. आपका संबल मुझे ताकत देता रहा और एक पल के लिए भी आपने मुझे यह महसूस नहीं होने दिया कि मैं किसी से भी कमजोर हूं. पैरों से लाचार हो जाने के बाद भी मैं आपके पैरों से चल कर अपने कर्तव्यों का पूर्ववत निर्वहन कर रहा हूं.
आपके और मेरे सबध हमारी कई पीढियों के संबंधों पर आधारित हैं. इस माटी पर पैदा होकर हम एक साथ चलते आये हैं. उसी हवा, उसी पानी, उसी अन्न ने आपको और हमको यहां तक पहुँचाया है. हम एक ही धागे में पिरोये हुए दो मोतियों की तरह हैं. कोई ताकत हमें अलग नहीं कर सकी और न ही हमारे संबंधों को कमजोर कर सकती है.
यदि आपने मुझे शक्ति प्रदान की है, तो उसके पदले में आपको केवल एक पहचान ही दे पाया हूं. भारत के किसी कोने में भी यदि आप अपना परिचय देते हुए यह कहेंगे कि आप उस क्षेत्र के निवासी हैं, जहां से अजीत जोगी विधायक हैं तो प्रतिक्रिया में आपको जो अपनापन मिलेगा, उससे आपको अवश्य गर्व की अनुभूति होगी. आपको दी गयी उसी पहचान के आधार पर एक बार फिर आपसे निवेदन कर रहा हूं कि नवंबर 2013 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पुनः मुझे अपना कमिया पाँच वर्षों के लिए नियुक्त करें. मैं जानता हूं कि इन भावनाओं को ध्यान में रख कर आप मेरी तमाम कमियों और भूलों को नजरअंदाज करके मुझे पहले से भी अधिक मतों से विजय दिलाएंगे.
सदैव आपका ऋणी कमिया
अजीत जोगी