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आंध्र बंटवारे पर 2000 ईमेल सुझाव

नई दिल्ली | एजेंसी: संचार क्रांति के इस युग में अब लोग ई मेल के माध्यम से आंध्रप्रदेश के बटवारे पर अपना सुझाव दे रहें है. यह जानकारी शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने दी. शिंदे ने कहा, “केंद्र को आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर करीब 2000 ईमेल से सुझाव मिले हैं. इन ईमेल को विभागवार छंटनी के लिए कहा गया है ताकि मंत्रियों का समूह विचार कर सके.”

आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर सरकार को करीब 2000 ईमेल मिले हैं, जिसे मंत्रियों के समूह के समक्ष पेश किया जाएगा. आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर लोगों से बंटवारे के तरीके पर विचार मांगने के बाद ये ईमेल मिले हैं.

शिंदे ने कहा कि सरकार ने विभिन्न मंत्रायलयों के केंद्रीय सचिवों को जीओएम के लिए नियम एवं शर्तो का ब्योरा तैयार करने के लिए कहा गया है. यह ब्योरा जीओएम की 7 नवंबर को होने वाली बैठक में पेश किया जाएगा.

पृथक तेलंगाना के गठन के लिए आंध्र प्रदेश के बंटवारे के मामले पर विचार करने के लिए जीओएम का गठन किया गया है.

शनिवार को हुई जीओएम की दूसरी बैठक में समिति ने नियम एवं शर्तो पर चर्चा की. यह समिति वित्त, कर्मचारियों, प्राकृतिक संसाधन जैसे जल, बिजली एवं अन्य संपत्तियों के बंटवारे पर विचार करेगी.

हैदराबाद को तेलंगाना में रखने का प्रस्ताव रखते हुए हालांकि यह कहा गया है कि रायलसीमा और तटीय आंध्र की राजधानी तैयार होने तक यह दोनों राज्यों की राजधानी रहेगी, फिर भी इस शहर पर सीमांध्र के लोग भावुक बने हुए हैं.

सूत्रों ने कहा कि समिति राजनीतिक क्षेत्रों के बंटवारे पर भी विचार करेगी.

शनिवार की बैठक में रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी को छोड़ शेष सभी छह मंत्रियों ने हिस्सा लिया. एंटनी अस्वस्थ होने के कारण बैठक में हाजिर नहीं हो सके.

11 अक्टूबर को हुई पहली बैठक में एंटनी और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम शामिल नहीं हो पाए थे.

शनिवार की बैठक में हिस्सा लेने वाले मंत्रियों में पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी शामिल थे.

इससे पहले सीमांध्र क्षेत्र से आने वाले तेलुगू देशम पार्टी के चार सांसदों ने जीओएम की बैठक के खिलाफ प्रदर्शन किया और शिंदे को रोकने की कोशिश की.

जैसे ही शिंदे बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे सांसदों ने ‘वी वांट जस्टिस’ और ‘सेव आंध्र प्रदेश’ के नारे बुलंद करने शुरू कर दिए. उन्होंने गृह मंत्री से पूछा कि दिल्ली में बैठक कर जीओएम किस तरह राज्य के भविष्य का फैसला लेगा.

हालांकि सरकार के इस कदम की आलोचना भी की जा रही है. हैदराबाद में लोकसत्ता के अध्यक्ष जयप्रकाश नारायण ने भी जीओएम द्वारा अपनाई जा रही बंटवारे की प्रक्रिया की आलोचना की. उन्होंने पूछा, “दिल्ली में बैठक कर वे आंध्र प्रदेश जैसे बड़े राज्य के भविष्य का फैसला आखिर किस तरह कर सकते हैं.”

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