माओवादी हमले में 17 जवान मारे गये
रायपुर | डेस्क: सुकमा में शनिवार को माओवादियों के हमले के बाद से लापता 17 जवानों के शव रविवार को सुरक्षाबलों ने बरामद कर लिया है. पिछले साल भर में माओवादियों का यह सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है.
बीबीसी के अनुसार शनिवार को मुठभेड़ के बाद से ही 17 जवानों के लापता होने की ख़बर थी. बस्तर के आईजी पुलिस सुंदरराज पी ने लापता जवानों के शव मिलने की पुष्टि की है.
इधर, इस मुठभेड़ के बाद घायल 14 जवानों को राजधानी रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां कुछ जवानों की स्थिति गंभीर बनी हुई है. राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को अस्पताल जा कर इन घायल जवानों से मुलाकात की.
गौरतलब है कि शनिवार की दोपहर सुकमा ज़िले के चिंतागुफा थाना के कसालपाड़ और मिनपा के बीच संदिग्ध माओवादियों ने सुरक्षाबलों की एक बड़ी टुकड़ी पर हमला बोला था. इसके बाद से 17 जवानों के लापता होने की ख़बर थी. रविवार की सुबह तक इन जवानों का पता नहीं चल पाया था.
रविवार को मुठभेड़ वाले इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसके बाद लापता जवानों में से 17 के शव मौके से बरामद किए गए. संदिग्ध माओवादी इन जवानों से यूबीजीएल समेत कई अत्याधुनिक हथियार भी लूट कर ले जाने में सफल हुये हैं.
माओवादी हमला
छत्तीसगढ़ में इस साल अब तक माओवादियों का यह सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है.
पुलिस का कहना है कि घने जंगल का इलाक़ा होने के कारण रविवार को ही वस्तुस्थिति के बारे में पता चल पायेगा.
पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार बस्तर में इन दिनों माओवादियों के ख़िलाफ़ ‘ऑपरेशन प्रहार’ नाम से विशेष अभियान चलाया जा रहा है.
इसी अभियान के लिये शुक्रवार को एसटीएफ़ और डीआरजी के जवानों की एक टीम दोरनापाल से निकली हुई थी. बुरकापाल में इस टीम में सीआरपीएफ़ के जवान भी शामिल हो गये.
शनिवार की दोपहर चिंतागुफा थाना के कसालपाड़ और मिनपा के बीच संदिग्ध माओवादियों ने सुरक्षाबलों की इस टीम पर उस समय हमला किया, जब जवान सर्चिंग ऑपरेशन के बाद लौट रहे थे.
पुलिस के अनुसार संदिग्ध माओवादियों ने सुरक्षाबलों की टीम को चारों तरफ़ से घेर कर कोराज डोंगरी की पहाड़ी के ऊपर से जवानों पर हमला किया.
दोनों तरफ़ से कई घंटों की मुठभेड़ के बाद इस हमले में घायल कुछ जवानों को उनके साथी घटनास्थल से बाहर निकाल पाने में सफल हुए. जिनमें से 14 को एयरलिफ्ट कर के राजधानी रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
इन घायलों में से कम से कम 2 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है.
किस जगह हुआ हमला
कसालपाड़ वही इलाक़ा है, जहां दिसंबर 2014 में माओवादियों के हमले में सीआरपीएफ़ की 223वीं बटालियन के असिस्टेंट कमांडेंट और डिप्टी कमांडेंट समेत 14 जवान मारे गये थे.
घने जंगलों से घिरे इसी कसालपाड़ से लगे हुये मिनपा इलाक़े में पुलिस ने कई बार अपना कैंप खोलने की कोशिश की. लेकिन माओवादियों के लगातार हमले के बाद सुरक्षाबलों को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था.
छत्तीसगढ़ में पिछले साल भर में माओवादी हिंसा में कमी आई है. लेकिन सरकार के तमाम दावे के बीच माओवादी अपनी ताक़त का अहसास कराते रहते हैं.
इससे पहले 14 मार्च को बस्तर ज़िले के मारडूम में माओवादियों के हमले में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के दो जवान मारे गये थे. इस घटना में सीआरपीएफ़ का एक जवान भी घायल हुआ था.
पिछले महीने की 18 फरवरी को कोंटा ब्लॉक के किस्टारम-पलोडी के बीच सर्चिंग पर निकले जवानों पर किये गये संदिग्ध माओवादियों के हमले में एक जवान की मौत हो गई थी.
10 फ़रवरी को बीजापुर और सुकमा जिलों की सीमा पर स्थित इरापल्ली गांव में माओवादियों के हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की कोबरा बटालियन के दो जवान मारे गये थे और 6 जवान घायल हो गये थे.
हिंसा में कमी आई?
राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दावा करते रहे हैं कि माओवादी हिंसा में कमी आई है.
आंकड़े बताते हैं कि 2017 और 2018 में राज्य में माओवादी हिंसा की क्रमशः 373 और 392 घटनायें सामने आई थीं. वहीं 2019 में हिंसक घटनाओं की संख्या 263 थी.
माओवादियों के हमलों में 2017 में सुरक्षाबलों के 60 जवान मारे गये थे. 2018 में यह संख्या 55 थी.
जबकि 2019 में माओवादी हमलों में 22 जवान मारे गये.