जशपुरसरगुजा

पत्थलगांव में अस्पताल के गेट पर जन्मा बच्चा

पत्थलगांव | संवाददाता: मानवता और डॉक्टरी पेशे को शर्मसार करने की एक घटना में पत्थलगांव में एक प्रसूता को अस्पताल के गेट पर ही बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ा.

मामला गुरुवार रात 11 बजे के आसपास का है जब पालीडीह निवासी सहादत हुसैन अपनी पत्नी यमयुन निशा (30) को लेकर प्रसव कराने के लिए पत्थलगांव सिविल अस्पताल पहुँचा. यहां पर मौजूद नर्सों से उसने डॉक्टर को बुलाने की गुहार की तो उन्होंने उल्टे उसे ही डॉक्टर को बुला लाने भेज दिया.

नर्सों के ऐसा कहने पर सहादत हुसैन प्रसव वेदना से पीड़ित अपनी पत्नी को वहीं छोड़ डॉ. शकुंतला निकुंज को लाने दौड़ा. जब वह डॉ. निकुंज को साथ ले वापस अस्पताल पहुँचा तो उन्होंने भी यमयुन निशा की जाँच किए बिना बाहर ही खड़े खड़े कह दिया कि पीड़िता को कुनकुरी या सरगुजा के अस्पताल लेकर चले जाओ. प्रसव पीड़िता की बढ़ती वेदना को देखते हुए उसके परिवार ने डॉक्टर और नर्सों से इलाज की गुहार लगाई लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा.

ऐसे में जब हताश होकर यमयुन निशा के परिजन उसे सरगुजा अस्पताल ले जाने की तैयारी कर ही रहे थे तब उसकी प्रसव पीड़ा तेज हो गई और उसने अस्पताल के गेट पर ही अन्य मरीजों के परिजनों की मदद से बच्चे को जन्म दिया. इसके बाद भी वहां मौजूद नर्सों को पीड़िता पर तरस नहीं आया और उन्होंने परिजनों को ही महिला को उपरी माले पर स्थित वार्ड तक पहुँचाने की सलाह दी, जबकि मुख्य द्वार पर प्रसव होने की वजह से अस्पताल के गेट पर खून बिखरा हुआ था.

आखिर परिजनों ने कैसे तैसे यमयुन निशा को वार्ड तक पहुँचाया जिसके बाद उसका इलाज शुरु हुआ. अस्पताल के डॉक्टर और नर्सों के इस अमानवीय व्यवहार का इलाके में बहुत विरोध हो रहा है. कई राजनीतिक और गैर-राजनीतिक संगठनों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है और डॉ. निकुंज और नर्सों के निलंबन की मांग की है.

मामले की जानकारी मिलने के बाद सीएमएचओ बीबी बोर्डे ने पत्थलगांव पहुँच कर स्थिति की जानकारी ली और डॉ. निकुंज और डॉ. केआर खुसरो के निलंबन के लिए कलेक्टर को प्रतिवेदन देने और तीनों नर्सों विमला लकड़ा, सुसन्ना कुजुर और ए नंद के निलंबन करने का आश्वासन दिया है.

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