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इसरो सार्क के लिये उपग्रह बनाये : मोदी

श्रीहरिकोटा | समाचार डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सिर्फ अभिजात्य वर्ग के लिए नहीं बल्कि आम लोगों के लिए है. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों से दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन, सार्क के लिए उपग्रह विकसित करने की अपील की.

प्रधानमंत्री मोदी ने पीएसएलवी-सी23 के सफल प्रक्षेपण के बाद कहा, “मेरा मानना है कि प्रौद्योगिकी मौलिक रूप से आम लोगों से जुड़ी हुई है. यह उनकी जिंदगी बदल सकती है.”

उन्होंने इसे भारतीय अंतरिक्ष क्षमता को वैश्विक मान्यता करार दिया जो अटल बिहारी वाजेपयी के दृष्टिकोण से प्रेरित है.

प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने चांद पर यान भेजा और अब मंगल की तरफ यान जा रहा है. मैं इस घटना का साक्षी बन कर सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं.”

44.4 मीटर लंबे और 230 टन भार वाले पीएसएलवी-सी23 का सोमवार सुबह 9.52 बजे को प्रक्षेपण किया गया.

उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों से सार्क उपग्रह विकसित करने की मांग की, जो पूर्णरूपेण क्षमता संपन्न हो और जिसका इस्तेमाल पड़ोसी देशों द्वारा किया जा सके.

प्रधानमंत्री ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, इसरो से इसकी प्रक्षेपण क्षमता का विस्तार पूरे दक्षिण एशिया में करने के लिए कहा.

मोदी ने कहा कि भारत को और अधिक उन्नत उपग्रह विकसित करने चाहिए और अधिक भार वाले उपग्रह को प्रक्षेपित करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को उनके साथ साझा करनी चाहिए, जिनके पास यह सुविधा उपलब्ध नहीं. उन्होंने अफगानिस्तान और अफ्रीका के लिए टेलीमेडिसीन प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के प्रावधान की बात भी कही.

मोदी ने अपने 25 मिनट के भाषण में कहा कि निरंतर प्रगति देश का अभियान होना चाहिए और इसरो से अंतरिक्ष विज्ञान का शासन और विकास में और अधिक इस्तेमाल करने के लिए इसके सभी हितधारकों को इसमें शामिल करने चाहिए.

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आपदा प्रबंधन की अमूल्य पूंजी है क्योंकि इसके पास चेतावनी जारी करने की आधुनिक प्रणाली मौजूद है.

पीएसएलवी-सी 23 के सफल प्रक्षेपण पर भारतीय वैज्ञानिकों की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने विश्व के सामने अपनी मितव्ययी इंजीनियरिंग और कल्पना की शक्ति को दिखाया है.

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