कलारचना

‘पीके’ पर विभाजित था, सेंसर बोर्ड

नरसिंहपुर | मनोरंजन डेस्क: फिल्म ‘पीके’ के दृश्यों लेकर फिल्म सेंसर बोर्ड में आपस में सर्व सम्मति नहीं थी. इसका खुलासा सेंसर बोर्ड के सदस्य सतीश कल्याणकर ने किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी राय को अनसुना कर ‘पीके’ को रिलीज किया गया है. उल्लेखनीय है कि ‘पीके’ पर चल रहें विवादों के बीच उसके सदस्य नरसिंहपुर में द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती से मिलने आये थे. उसी वक्त उन्होंने इसका खुलासा किया. सतीश कल्याणकर ने कहा कि राजकुमार हिरानी निर्देशित और आमिर खान द्वारा अभिनीत फिल्म ‘पीके’ पर उन्होंने रिलीज होने से पहले ही आपत्ति दर्ज कराई थी, जिसे बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने भी अनसुना कर दिया था. यह खुलासा सोमवार को कल्याणकर ने खुद किया. द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती द्वारा ‘पीके’ फिल्म को हिंदुओं की आस्था पर चोट करार देकर इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग किए जाने के बाद सेंसर बोर्ड के सदस्यों ने आश्रम पहुंचकर रविवार और सोमवार को उनसे मुलाकात कर अपना पक्ष रखा.

कल्याणकर ने शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती की मौजूदगी में संवाददाताओं को बताया, “वे स्क्रीनिंग कमेटी के भी सदस्य हैं. उन्होंने फिल्म को देखकर पाया था कि उसमें तय नियमावली का उल्लंघन किया गया है. नियमावली कहती है कि फिल्म में ऐसे दृश्य और संवाद नहीं होना चाहिए, जिससे किसी धर्म की भावनाएं आहत हों.”

कल्याणकर के अनुसार उन्होंने इस फिल्म के कुछ दृश्यों पर आपत्ति दर्ज कराते हुए सेंसर बोर्ड के सीईओ से मुलाकात की इच्छा जताई थी, जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने सीईओ को पत्र लिखा. इसके बाद भी उन दृश्यों को नहीं हटाया गया जिन पर उन्होंने असहमति जताई थी.

आश्रम के अधिकारी विद्यानंद ब्रह्मचारी ने बताया, “किसी भी फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा एक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है जो फिल्म की शुरुआत में दिखाया जाता है, इस पर पांच लोगों के दस्तखत होते हैं. कल्याणकर स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य थे, फिल्म के प्रमाण पत्र पर चार सदस्यों के हस्ताक्षर तो हैं, मगर कल्याणकर के हस्ताक्षर को हटा दिया गया है.”

विद्यानन्द ने बताया कि फिल्म के निदेशक राजकुमार हिरानी का पत्र भी शंकराचार्य को मिला है. हिरानी ने 12 जनवरी के बाद शंकराचार्य से मुलाकात की बात कही है. शंकराचार्य से मुलाकात करने वालों में कल्याणकर के अलावा सेंसर बोर्ड के और भी सदस्य थे.

शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती द्वारा ‘पीके’ फिल्म का विरोध किए जाने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया और कई शहरों से फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग उठ रही है.

वहीं दूसरी ओर इंदौर में रविवार को साधु-संतों के एक दल ने पीवीआर में जाकर फिल्म देखी और उसमें दिखाए गए दृश्यों व संवादों को हिंदू विरोध करार दिया. उन्होंने भी फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की है. जाहिर है कि फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य सतीश कल्याणकर के खुलासे के बाद ‘पीके’ पर चल रहा विवाद और गहराने वाला है क्योंकि अब यह दावा नहीं किया जा सकता कि सेंसर बोर्ड ने इसे हरी झंडी दिखा दिया है. अब सतीश कल्याणकर के पक्ष का विरोध करने वाले संगठन अपने पक्ष में उपयोग करेंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!