राष्ट्र

दवा का जहर देने वालों पर कार्रवाई नहीं

नई दिल्ली | संवाददाता: संसदीय समिति ने सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं किये जाने पर नाराजगी जताई है. संसदीय समिति ने केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए सवाल खड़े किये हैं कि मई 2012 में अपनी रिपोर्ट में इंगित किये जाने के बावजूद भी अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नही की गई.

गौरतलब है कि मई 2012 में स्वास्थ्य मंत्रालय पर गठित संसदीय समिति ने पाया था कि सीडीएस्को एवं दवा कंपनियों के अधिकारियों के मध्य एक नापाक गठबंधन काम करता है. जिसका खामियाजा सीधे-सीधे जनता को भुगतना पड़ता है. सीडीएस्को केन्द्र सरकार की वह संस्था है, जिसकी जिम्मेदारी है कि वह जनस्वास्थ्य की रक्षा करे तथा उसे बढ़ावा दे. सीडीएस्को की ही जिम्मेवारी है कि वह किसी भी दवा को भारतीय बाजार में उतारने के पहले उसकी प्रभावशीलता, कुप्रभावों आदि की जांच कर ले.

संसदीय समिति का कहना है कि इतने समय में तो जांच कर संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही हो जानी थी, जिससे बाकी लोगो को सबक मिलता. अपनी रिपोर्ट में समिति ने उल्लेखित किया था कि देश में 31 नई दवाओं को बिना किसी क्लीनिकल ट्रायल्स के ही दवा कंपनियों को बेचने की अनुमति प्रदान की गयी.

जबकि कानूनन यह अनिवार्य है कि पहले विदेशी दवाओं का हमारे देश में ही परीक्षण कराया जाए, फिर उसे बाजार में जाने दिया जाए. यह इसलिये आवश्यक है कि कहीं इन दवाओं का भारतीय मरीजों पर कोई कुप्रभाव तो नही पड़ रहा है, यह पहले से ही सुनिश्चित कर लिया जाए.

समिति ने यह भी पाया था कि नई दवाओं के लिये परीक्षण करवाने के बजाये कुछ विशेषज्ञों की निजी राय को आधार बनाया गया है. विशेषज्ञों के पत्रों की जांच करने पर यह निष्कर्ष निकला था कि इन्हें लिखने में दवा कंपनियों का अदृश्य हाथ है.

अलग-अलग शहरों से लिखे गये पत्रों का मजमून एक ही था तथा उन्हें एक ही दिन सीडीएस्को के दफ्तर में पहुंचाया गया. समिति उस वक्त चकित रह गई जब उन्हें बताया गया कि तीन दवाओं की फाईलें गुम हो गई हैं. इतना सब होने के बाद भी अब तक इन अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की गई.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!