कलारचना

कान्स फैशन परेड नहीं: शबाना

मुंबई | मनोरंजन डेस्क: शबाना आज़मी ने कान्स को फैशन परेड के बजाये फिल्मोत्सव ही बने रहने देने के लिये मुहिम शुरु की है. शबाना का मानना है कि कान्स में फिल्म गौण तथा फैशन हावी होता जा रहा है. शबाना ने 1980 के अपने फिल्म निशांत का उदाहरण देते हुये कहा है कि हमने कांजीवरम साड़ी सड़कों पर पहनकर फिल्म के लिये प्रचार किया था फैशन परेड नहीं. फिल्म और थियेटर दिग्गज शबाना आजमी ने अफसोस जताया कि कैसे 68वें कान्स अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में फैशन सिनेमा पर से लोगों का ध्यान हटा देता है. उन्होंने कहा कि फिल्मोत्सवों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, न कि फैशन परेड ग्राउंड के तौर पर. बॉलीवुड अभिनेत्री ने अपने प्रशंसकों और फॉलोअरों को फिल्मोत्सव के आयोजन के मुख्य उद्देश्य से अवगत कराने के लिए माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर अपने विचार रखे.

उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट किया, “कान्स इन दिनों कपड़ों की परेड बनता नजर आ रहा है. दोस्तों, यह एक संजीदा फिल्मोत्सव है, न कि कोई फैशन कार्यक्रम.”

शबाना ने फ्रेंच रिवेरा से संबंधित अपनी यादों को अपने प्रशंसकों के साथ साझा किया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “जब हम 1980 में फिल्म ‘निशांत’ के साथ कान्स गए थे, हममें से प्रत्येक के पास केलव आठ अमरीकी डॉलर थे और प्रचार सामग्री नहीं मिली थी. तब श्याम बेनेगल ने एक रणनीति तैयार की थी.”

फिल्म में श्याम बेनेगल ने एक स्कूल अध्यापक और उसकी पत्नी की कहानी दिखाई थी, जो कि जमींदारी प्रणाली से शोषित थे.

उन्होंने लिखा, “उन्होंने मुझे और स्मिता पाटिल को कांजीवरम साड़ी में सुबह आठ बजे निकलने के लिए कहा था. उन्होंने कहा कि जब लोग हमें जिज्ञासापूर्वक देखेंगे तो हम उनसे अपनी फिल्म देखने के लिए कहेंगे. उनकी यह रणनीति सफल रही और हमारी फिल्म को तब खूब दर्शक मिले थे.”

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