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ब्रिक्स में जैश, लश्कर घिरे

नई दिल्ली | संवाददाता: चीन में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के नामों के जिक्र से भारत खुश है. भारतीय कूटनीतिक गलियारे में माना जा रहा है कि चीन की धरती पर ही उसके सबसे अच्छे दोस्त पाकिस्तान की लानत-मलामत हो गई. दिलचस्प ये है कि ब्रिक्स के घोषणापत्र में चीनी राष्ट्रपति के भी अनुमोदन हैं, जो अब तक पाक के कई आतंकी संगठनों के खिलाफ प्रस्तावों पर अपनी असहमति जताते रहे हैं. खास तौर पर जैश-ए-मोहम्मद के प्रति चीन का प्रेम जगजाहिर रहा है.

भारतीय विदेश मंत्रालय की सचिव प्रीति सरन ने कहा कि आतंकवाद पर सभी को एकजुट होकर बात करने की जरूरत है. और ये बात अब लोगों को समझ आ रही है. ब्रिक्स देशों के सदस्य कहीं न कहीं आतंकवाद का शिकार रहे है. अब सभी को मिलकर इसके ख़िलाफ़ काम करने की जरूरत है. आप इस पर दोहरा रुख नहीं रख सकते. पहली बार ब्रिक्स में हक्कानी नेटवर्क, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तोएबा जैसे चरमपंथी संगठनों का नाम सार्वजनिक तौर पर लिस्ट किया गया.

ब्रिक्स के ताज़ा घोषणापत्र में कहा गया है कि हम ब्रिक्स देशों समेत पूरी दुनिया में हुए आतंकी हमलों की निंदा करते हैं. हम सभी तरह के आतंकवाद की निंदा करते हैं, चाहे वो कहीं भी घटित हुए हों और उसे किसी ने अंजाम दिया हो. इनके पक्ष में कोई तर्क नहीं दिया जा सकता. हम क्षेत्र में सुरक्षा के हालात और तालिबान, आईएसआईएस, अलकायदा और उसके सहयोगी, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश ए मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और हिज्ब-उत-ताहिर द्वारा फैलाई हिंसा की निंदा करते हैं.

घोषणा पत्र में कहा गया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की जरूरत है. यह काम अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक होना चाहिए. इसमें देशों की संप्रभुता का खयाल रखना चाहिए, अंदरूनी मामलों में दखल नहीं दिया जाना चाहिए. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम एक साथ हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ व्यापक संधि को स्वीकार किए जाने के काम में तेजी लाई जानी चाहिए. कट्टरपंथ रोके जाने का प्रयास होना चाहिए.

चीन ने इसी साल जून में भी जैश चीफ पर यूएन कार्रवाई का विरोध किया था. चीन का कहना था कि जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया के खिलाफ कदम उठाने के लिए ठोस सबूतों की जरूरत है. वहीं, भारत का कहना था कि उसने अजहर पर प्रतिबंध के लिए ‘ठोस सबूत’ पेश किए हैं और उसमें पाक स्थित इस आतंकवादी की गतिविधियों का पूरा ब्योरा है. बता दें कि पेइचिंग ने पठानकोट आतंकी हमले में अजहर की भूमिका के लिए उसे आतंकवादी घोषित करने के अमेरिका और अन्य देशों के संयुक्त राष्ट्र में प्रयासों पर तकनीकी रोक लगा रखी है. पिछले साल चीन ने अजहर को आतंकवादी का दर्जा देने के भारत के आवेदन पर भी तकनीकी रोक लगा दी थी.

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