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मोदी जी के नाम बिहारी की चिट्ठी

नीलोत्पल | वाट्सऐप
आदरणीय सबसे प्रमुख प्रधानमंत्री महोदय,
सर सर्वप्रथम मोदी,मोदी,मोदी,मोदी,मोदी,मोदी,मोदी,मोदी हूऊऊऊऊ होहोहोहोआआ मोदी मोदी.

सर, आपको कुछ भी लिखने से पहले एक भारतीय होने के नाते मेरा कर्त्तव्य है कि पहले आदर और संबोधन के रूप में मोदी मोदी मोदी का एक लंबा नारा लगा दूँ फिर आगे कुछ कहूँ. आपके हर कार्यक्रम से पहले ये जो नारा लगता है उसे “मोदघाटन” का नाम दे देना चाहिए, जो उद्घाटन का नया स्वरुप है.

कल भी आप पटना विश्वविद्यालय के मंच पर पहुंचे, तैयार पढ़े लिखे छात्रों ने कंठ फूला मोदी मोदी नारा लगाया. मुझे लगा, आप हाथ से इशारे कर मना कर देंगे और कहेंगे कि ये एक विश्वविद्यालय का परिसर है और यहां एक गरिमामयी शैक्षणिक कार्यक्रम चल रहा है, सो कृपया ऐसे राजनीतिक रैली के अंदाज़ में नारा मत लगाईये. पर मैंने देखा, आपने इत्मीनान से जनता रूपी छात्रों को नारा लगाने दिया, चिल्लाने दिया, बीच में टोका नहीं. इस प्रकार छात्रों को उनके मन का काम करने दे कर आपने चाचा जवाहर लाल से ज्यादा स्नेह दिया बच्चों को.

मैंने गौर किया है, मोदीकारा रूपी जयकारा सुनने के बाद आपका चेहरा उतना ही चमक और गर्व से भर जाता है और आप बड़े संतुष्ट और औदात्यमयी दिखने लगते हैं, जितना बिहा के दिन देहात के दूल्हों का चेहरा गर्व और औदात्य से भरा होता है. चलिये अब मैं बिहार की धरती पर पुनः पधारने हेतु आपका आभार प्रकट करता हूँ.

हालाँकि इसमें आभार जैसी कोई बात नहीं क्योंकि आप तो बचपन से हर जगह आना जाना चाहते रहे हैं और संपूर्ण विश्व में कहीं की भी भूमि हो, आपके लिए बड़ा घरेलु और भावुक मसला होता है वहां पर जाना.

कई बार तो जो स्थानीय लोग होते हैं, उनको लगने लगता है कि हम ही परदेशी हैं और मोदी जी लोकल हैं. कल भी आपने जिस पवित्र भावुकता से ह्रदय बिछा पटना की भूमि को प्रणाम और नमन किया कि उसे देख रोज रजनीगंधा खा उसी भूमि पर थूकने वाले नौजवान लजा से गए. वो मुड़ी गोत अपनी धरती देखने लगे और समझने का प्रयास करने लगे कि आखिर क्या बात है हमारी धरती में कि जिसे हम नहीं उतना पूज पाते, उसे गुजरात से आया आदमी इतनी श्रद्धा से नमन कर रहा.

एक लड़का बोला, “रेलवे के एग्जाम देने गए थे तब गुजरात में एक बार बिहारी बोल बड़ी पीटा था लोग हमको, पर ये नहीं पता था कि भले बिहारी की कोई इज्जत नहींं वहां पर वहां के आदमी के दिल में बिहार की धरती को लेकर बड़ा सम्मान है.”

ये समझ और देख लड़का भावुक हो पंडाल से निकल गंगा किनारे निर्गुण गाने चला गया सर.

आपके मन में बिहार की धरती के प्रति ये श्रद्धा देख मैं भी आंसू आंसू हो रहा हूँ सर.

सर, कल आपके पटना और मोकामा के दोनों भाषणों को सुना. आपको सुनना उस कमी को पूरा करना है, जहां हमें अफ़सोस होता रहता था कि बिहारी होकर भी बुद्ध को नहीं सुन पाया था. आपने हमें वो सौभाग्य दिया कि हम अपनी भावी पीढ़ी को बताएँगे कि भले बुद्ध, महावीर को हमने मिस कर दिया पर मोदी जी को सुन हमने वो कमी मेकअप कर लिया और अब आराम से कह मर पाएंगे कि हमने बुद्ध महावीर के 4G संस्करण मोदी जो को सुना था.

सर, बाकि लोग नेता की तरह बोलते हैं, जनता भी उन्हें नेता के तौर पर सुनती है..उनसे सवाल करती है, जवाब मांगती है. नेता भी काम गिनवाता है, जो कमी है उसके लिए माफी मांग उसे पूरा करने का वादा करता है. वादा नहीं पूरा करता है तो नेता को जनता हरा देती है. ये एक सामान्य प्रक्रिया होती है किसी भी नेता के राजनीती की.

लेकिन जब आप मंच पर होते हैं तो लगता है, अःहः, आह मेरा सौभाग्य, कोई संत बोल रहा है. कोई सवाल नहीं, कोई जवाब नहीं. राज्य का देश में क्या स्थान होगा, उससे अलग आप हमें विश्व में स्थापित करने का रास्ता दिखाते हैं. आप योजना की नहीं, बल्कि हर बिहारी मानव के कल्याण की बात बोल रहे थे.

कहाँ तो हमलोग रोटी रोजी के लिए ताकते रहते हैं. ले दे के सरकार से योजना मांगते हैं, लेकिन आप हमें योजना या काम जैसी क्षणभंगुरी आइटम नहीं बल्कि दृष्टि देते हैं. कल जब नीतीश कुमार ने घिघियाते हुए आपसे पटना विश्विद्यालय को केंद्रीय विवि का दर्जा देने की याचना की तो आपने ठीक उसी तरह उनकी आँख खोल दी जैसे संत रामकृष्ण परमहंस ने विवेकानंद की बुद्धि खोल दी थी. एकदम सेम टू सेम कर दिए.

आपने अमृत वाणी बरसाते हुए शिक्षा दिया, केंद्रीय विवि तो पीछे की बात है, मैं तो इसे विश्व लेवल का विवि बनाने के लिए निमंत्रण देने आया हूँ. इस पर सामने बैठे तीन लुक्कड़ ने ताली पिटी पर अगले पल आस पास सन्नाटा देख वो भी शांत हो गया. ये शांत हो ध्यानस्थ हो जाने वाली ही घोषणा थी.

जिस विवि में आज 3 की जगह 5 वर्ष में कोर्स पूरा होता हो, जिसके पास ढंग से प्रोफ़ेसर की संख्या न हो, कोई फंड न हो, कोई नियमित अकादमिक कलेंडर न हो, पढ़ाई की गुणवत्ता पर संकट हो, उसे तत्काल कोई राहत न दे सीधे विश्व स्तर पर पहुंचाने की कोई बात करे तो सुनने वाले केवल खुशी से बेहोश ही हो सकते हैं.

आपकी अमृत वाणी ने पटना विवि को अपने सबसे हसीन सपने की दुनिया में पहुंचा दिया जहां से होश आने के बाद कल शाम से पटना विवि फिर वहीँ है, जहां वो कल आपके आने के ठीक मिनट भर पहले था.

आपने कहा, ias, ips बनाना तो पटना विवि के लिए बाएं हाथ का खेल है. सुन कर उन सभी छात्रों ने सीना पीट ताली पीटा जो कल ही शाम से रेलवे की चतुर्थ वर्गीय नौकरी की परीक्षा के संघर्ष में लग जाने वाले थे. सोच रहा हूँ कि दिल्ली के मुखर्जी नगर में वर्षों से संघर्ष करते वो हज़ारों लाखों बिहारी छात्र आज तक क्यों नहीं समझ पाये कि ias, ips तो हमारे लिए बाएं हाथ का खेल है. क्यों लाखों रूपये बर्बाद कर पड़े हैं दिल्ली में ये बोल के कि बिहार में तैयारी का माहौल नहीं. बिहार में वो सुविधा नहीं. बिहार के हिंदी माध्यम के प्रतिभाशाली छात्रों को अपनाने के लिए upsc ही तैयार नहीं. आज के समय पूरी मेरिट लिस्ट में बिहार खोजना कपार फोड़ने जैसा लगता है सर. लेकिन फिर भी अब जब आपने उसे केवल अपनी दिव्या वाणी से बाएं हाथ का खेल करार दे दिया है तो निश्चित रूप से अगले साल हम सैकड़ों की संख्या में ias बन ही जायेंगे.

सर, आपने अपने भाषण में चीन की एक कहावत का हवाला देते हुए प्रेरणादायी किस्सा सुनाया. आपकी ये उदार अदा दिल ले गयी. जहां पूरे देश में हमें चीनी माल का बहिष्कार करने को कहा जा रहा है, दीवाली में चीनी बल्ब फोड़ने कहा जा रहा और इस तरह देशभक्ति दिखा चीन को सबक सिखाने की सीख दी जा रही, वहीं दूसरी तरफ भारतीयों को प्रेरित करने के लिए देशी पंचतंत्र या हितोपदेश की जगह मेड इन चीनी कहावत का सहारा ले आपने अपने विशाल हृदय का परिचय दिया है, जहां दुश्मन का माल भी आप आसानी से उपयोग में ले आते हैं, दुश्मनी निभाने का जिम्मा तो छोटे-मोटे लोगों पर है, जनता पर है जो दीवाली में चीन से बदला के लिए तैयार ही बैठी है.

आपने सर, जब भारत को विश्व शक्ति बनने का रास्ता शौचालय के निर्माण से दिखाया तब से बार-बार शौचालय जाना चाहता हूँ, जहां बैठ भावी भारत, महान बिहार का चित्र देख सकूँ. केवल जा के आने वाले इस माध्यम से कोई देश महान हो सकता है, ये फार्मूला पिछली किसी भी सदी से आगे की खोज है.

सर, आपने मोकामा में जब कहा- मैंने नीतीश जी से कहा है के जो भी फलना ढिमकाना होगा वो एक-एक काम पूरा करूँगा. सर, आज तक शायद ही कोई pm फलना और ढिमकाना को भी काम समझ पाया होगा पर आपने न केवल इसे बिहार का सबसे जरुरी काम समझा बल्कि इसे पूरा करने का वादा भी किया.

सर, आपने जब बताया कि मैंने मोकामा में पुल बनवा दिनकर के सपनों को पूरा किया है, तब से दिनकर की हर रचना पढ़ रहा हूँ जिसमें उन्होंने देश के कल्याण में पूल की भूमिका और इच्छा पर प्रकाश डाला है. इस तरह आपने दिनकर जी की संस्कृति के चार अध्याय में पांचवा अध्याय जोड़ एक नया साहित्य रचा.

सर, आपने जब कहा कि भारत तो जवान देश है, इस पर ताली पीटते नौजवानों के घर बैठे बाप को कौन समझाए जो इन जवानों की बेरोजगारी पर छाती पीटते रहता है.

सर, जहां भी देखिये युवा लोग रोजगार मांगते हैं, सरकारी नौकरी मांगते हैं पर आपने पटना से मोकामा तक के भाषण में कहीं भी एक पल भी रोजगार की चर्चा न कर ये सिद्ध किया कि बिहार ज्ञानियों और साधुओं ऋषियों की धरती है, जहां के जवान ऋषियों को माया रूपी रोजगार नहीं बल्कि ज्ञान चाहिए. हम मुँह तकते रह गए कि एक शब्द तो रोजगार और नौकरी पर निकलेगा पर आप तो हमें विश्व का अगुआ बनाना चाहते हैं और जब नौकरी चाकरी में फंस जायेंगे तो कैसे विश्व को समय दे भारत को आगे ले जायेंगे. आपकी इस महान सोच को सलाम है सर.

आपने हर बात पर कहा कि आप युवा खुद आगे ले के चलो भारत को, मैं तो निमन्त्रण देने आया हूँ. हम जिन युवा पर उसके बाप को भी कुछ कर पाने का भरोसा नहीं, उन पर आपने इतना यकीन किया इसके लिए शुक्रिया हुज़ूर. हमे तो पड़ोस में शादी का निमंत्रण नहीं मिलता भोज खाने को, उसे देश का pm निमन्त्रण दे गया. एक बिहारी युवा को और क्या चाहिए !

सर, आपकी बातें वर्तमान से निकाल हमें आगे के 200 साल के दिव्य भारत में ले जाती हैं, जहां मेरे पड़पोते को ऐश ही ऐश रहेगा. हमलोग केवल अपनी सोच रहे हैं पर आपने हमारी चार पीढ़ी बाद की व्यवस्था कर दी जिस पर चलिये, हम अपना आज खुशी-खुशी कुर्बान कर देते हैं सर. सर, आप जब भाषण रूपी अमृत बरसाते हैं उस वक़्त बाएं हाथ की तर्जनी को अगूंठे से मिला गोल कर एक ख़ास मुद्रा बनाते हैं. तकनीकी तौर पर ये बड़ा अश्लील इशारा लगता है. पर चूँकि इसे आपके जैसा संत बना रहा है तो इस अश्लील इशारे में भी शील और संस्कार देखना हमारा दायित्व है.

साहब आपने मोकामा में उपस्थित भीड़ को देख उसकी चर्चा कर ख़ुशी प्रकट की. आप पहले pm हैं जिन्हें pm बनने के सालों बाद भी कार्यक्रम में रैली दीखता है और भीड़ की गिनती का खयाल रहता है. दूसरे लोग तो पद पा फिर उसी दिशा में उसी अनुरूप काम करते हैं पर आप अभी भी लोगों की गिनती कर चुनाव आयोग को लगातार ये बता के भरोसा दिलाना चाहते हैं कि अभी 10-15 साल चुनाव में फिजूल खर्ची की जरुरत नहीं, हमारे वोट गिन लो, चुनाव की क्या जरुरत. आहा वो बचा पैसा देशहित में लगा आप एक महान भारत रचने की जो मंशा रखते हैं, उसे नमन करता हूँ.

जब आपने कहा कि ताली बजने से भरोसा मिलता है तो असल में आपने ये कह ताली बजा के खेल दिखाने वाले मदारियों को जो श्रद्धांजलि दी है, उसके लिए देश आपको याद रखेगा सर. कौन सोचता है उन गरीबों के बारे में इतना. सर अगले जन्म का भरोसा नहीं, पर मेरी इच्छा है कि जिस भी मुल्क पैदा होऊं, आपको ही वहां pm देखूं. अगर मैं अपने कुकर्मों से अगले जन्म कुकुर या बिलाय बन जाऊं तो वहां भी आप ही को गुरु के रूप में पाऊँ इसी इच्छा के साथ पत्र समाप्त करता हूँ सर. जय हो.

2 thoughts on “मोदी जी के नाम बिहारी की चिट्ठी

  • A stinging slap on the countenance of the myopic stooges

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  • Partha Roy Chowdhury

    What a lovely letter – right from the heart – Jai Ho ..

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