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उस्ताद ज़ाकिर हुसैन नहीं रहे

नई दिल्ली । डेस्क: दुनिया के शीर्ष तबला वादक पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का रविवार को निधन हो गया.पूरी दुनिया में ज़ाकिर हुसैन तबला के पर्याय बन चुके थे. लेकिन उनके निधन के साथ ही तबले की एक जानी-पहचानी थाप, हमेशा-हमेशा के लिए ख़ामोश हो गई.

हिंदुस्तान में एक पूरी पीढ़ी,जिसकी संगीत या तबले में दिलचस्पी नहीं थी, वह भी इस घुंघराले बालों वाले मुस्कुराते चेहरे से जुड़े विज्ञापन ‘वाह उस्ताद नहीं हुज़ूर, वाह ताज बोलिए’के साथ बड़ी हुई थी.

लेकिन तबले के साथ एकाकार हो जाने वाली उंगलियां रविवार को सदा के लिए थम गईं.

अपने को हमेशा उस्ताद की जगह, शागिर्द कहलाने में फक्र महसूस करने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और सैन फ्रांसिस्को में उनका इलाज चल रहा था.

जाने माने तबला वादक उस्ताद अल्लारक्खा खां के बेटे ज़ाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था. पिता की संगत में ही उन्होंने तबला वादन शुरू किया.

11 साल की उम्र में अपना पहला एकल तबला वादन प्रस्तुत करने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन ने 1973 में, अपना पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया. इसके बाद उन्होंने कभी पलट कर नहीं देखा.

ज़ाकिर हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था.

उन्हें 5 ग्रैमी अवॉर्ड भी मिले थे.

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