मिस्र में पिरामिड सलामत: 80 लाशें गिरी
काहिरा । विशेष संवाददाता: फराह राजाओं द्वारा निर्मित पिरामिडों के लिये प्रसिध्द देश मिस्र अब हिंसा के समाचारों के लियें सुर्खियां बटोर रहा है. मुस्लिम ब्रदरहुड द्वारा चलाये गये आंदेलन से सत्तारूढ़ हुए राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को 3 जुलाई को मिस्र की सेना द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था. उसके बाद से ही मुस्लिम ब्रदरहुड के नेतृत्व में जनता द्वारा संघर्ष चलाया जा रहा है.
मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्यों का कहना है कि “हमने चुनावों के ज़रिए एक राष्ट्रपति को सत्ता पर बिठाया था लेकिन उन्होने टैंकों के ज़रिए एक कठपुतली को खड़ा किया है जो गोलियां चलाता है. लेकिन मिस्र की जनता डरेगी नहीं. मोर्सी के समर्थक नहीं डरेंगे.”
शुक्रवार को मोर्सी समर्थकों तथा सुरक्षाकर्मियों के बीच हुए संघर्ष में अब तक 80 लोगों के मारे जाने की खबर है. सबसे ज्यादा मरने वालों की संख्या काहिरा से है जहां मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थकों पर सुरक्षाकर्मियों ने गोलियों की बौछार कर दी थी. ज्ञात्वय रहे कि शुक्रवार को मोर्सी समर्थकों द्वारा विरोध दिवस मनाया जा रहा था.
प्रदर्शनकारी सेना के विरोध में नारे लगा रहे थे तथा मांग कर रहे थे कि ‘जनता इस तख़्तापलट को समाप्त करना चाहती है’. प्रदर्शनकारी इतने उग्र हो गये थे कि उन्होनें एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी.
गौर तलब है कि बुधवार को हुई हिंसा की पूरे अंतर्राष्ट्रीय जगत में कड़ी निंदा की गई थी. अमरीका और संयुक्त राष्ट्र समेत सभी ने इसकी घोर आलोचना की है. तुर्की ने मिस्र से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है. लेकिन सऊदी अरब के राजा अबदुल्लाह ने मिस्र की मौजूदा सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि सऊदी अरब की जनता और सरकार ‘आतंकवाद’ के विरोध में अपने मिस्री भाइयों के साथ खड़ी है.
मिस्र केवल अपने पिरामिडों के लिये ही नही वरन् अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण भी दुनिया के राजनीति में विशेष महत्व रखता है. सऊदी अरब से जाने वाले तेल के जहाजों को मिस्र के स्वेज नहर से होकर गुजरना पड़ता है. यदि मिस्र तेल के जहाजों को स्वेज नहर से ले जाने की अनुमति न दे तो उन्हें अमरीका तथा यूरोप जाने के लिये सोमालिया, तंजानिया तथा अंगोला होते हुए जाना पड़ेगा.
इससे उनका परिवहन खर्च कई गुना बढ़ जायेगा. इस आर्थिक-राजनीतिक महत्व के कारण पूरी दुनिया की नजर मिस्र में घटित होनें वाले हर राजनीतिक घटनाक्रम पर है. इस तेल के खेल के नेपथ्य में होने के कारण ही हर एक देश अपने फायदे के हिसाब से रणनीति तय कर रहा है.