तेरा क्या होगा तरुण तेजपाल
रायपुर | समाचार डेस्क: पणजी की अदालत तेजपाल की जमानत या पुलिस हिरासत पर फैसला शनिवार की शाम देगा. उससे पहले जब तेजपाल कोर्ट से अपने होटल वापस जा रहे थे तो उन पर चप्पल फेंका गया. कभी कैमरे के पीछे से स्टिंग आपरेशन करवाने वाले तरुण तेजपाल अब कैमरे का सामना करने से कतरा रहें हैं. तरुण तेजपाल पत्रकारिता के जगत में टी टी के नाम से जाने जाते हैं.
दर्शक भी वही हैं, अदालत भी वही है, मीडिया के चैनल तथा समाचार पत्र भी वही हैं परन्तु इस बार विषय स्वंय तरुण तेजपाल हैं. उन पर उन्हीं की एक सहकर्मी ने रेप का आरोप लगाया है. पीड़िता का आरोप सामने आने के बाद पहले तो तेजपाल ने माफी मांगी थी लेकिन अब वे कानूनी लड़ाई लड़ रहें हैं. अपने को पाक-साफ साबित करने के लिये तेजपाल ने पीड़िता पर कई आरोप और जड़ दिये हैं.
बाजपेयी सरकार के समय तरुण तेजपाल की टीम ने भाजपा के अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण का स्टिंग आपरेशन किया था. जिसमें बंगारू लक्ष्मण नये वर्ष की पार्टी के लिये नगद स्वीकार करते दिखाई दिये थे. उससे पहले भारतीय मीडिया में स्टिंग आपरेशन ने इतना तहलका कभी नही मचाया था. ‘तहलका’ के तहलका से बाजपेयी सरकार हिल गई थी तथा भाजपा आज तक अपने दामन में वह दाग लेकर चल रही है. इसके अलावा तेजपाल के तहलका ने कई स्टिंग आपरेशन किये हैं.
किसने सोचा था कि वही तरुण तेजपाल एक दिन बलात्कार के आरोपो से जूझता तथा मीडिया से भागता फिरेगा. इस दौर में तरुण तेजपाल के बटुएं का भारीपन बढ़ा है जो उनके पोशाक तथा रहन-सहन से साफ परीलक्षित होता है. पैसे से नैतिकता खत्म हो जाती है ऐसा नही कहा जा सकता परन्तु तरुण तेजपाल का नैतिक पतन हुआ है इतना तो तय है. वरना अपनी बेटी के सहेली से दुनिया के सबसे भीषणतम अपराध, बलात्कार करने में उन्हें शर्म नही आयी.
बचपन में हिन्दी के किताब में एक कहानी पढ़ाई जाती थी. उस कहानी में एक डकैत खड़ग सिंह साधु के वेष में आकर एक सज्जन बाबा भारती को लूट लेता है. लूटने का बाद सज्जन ने डाकू से कहा कि इस घटना का किसी से उल्लेख मत करना वरना लोग साधुओं पर भरोसा करना छोड़ देंगे. सज्जन पुरुष की यह बात सुन कर डाकू का हृदय परिवर्तन हो जाता है तथा वह डकैती करना छोड़ देता है. जरूर तरुण तेजपाल ने वो कहानी बचपन में नही पढ़ी होगी. क्योंकि अब भारतीय जनता किसी भी स्टिंग आपरेशन को संदेह के दृष्टि से देखेगी तथा स्टिंग आपरेशन के कैमरे के पीछे के व्यक्ति की विश्वसनियता पर शक करेगी.
तरुण तेजपाल ने न केवल एक जघन्य अपराध किया है वरन् उसने तो पत्रकारिता के पेशे पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं. उनके कृत्य से यह साबित हो गया है कि सच का पर्दाफाश करने वाला सच्चा हो यह जरूरी नही है. तरुण तेजपाल कुछ स्टिंग आपरेशन करने बाद भगवान तो नही बन गये थे इतना तो तय है लेकिन कम से कम उनकी बेटी तो उनसे इतना नैतिकता तो जरूर चाहती होगी कि उसके सहेली के साथ दुष्कर्म न किया जाये. फिलहाल तहलका के कई महिला कर्मियों ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है. अब उनकी दूसरी महिला सहकर्मी यदि हों तो अवश्य ही उनसे दूर रहेगीं.
कानून अपना फैसला तो अवश्य देगा लेकिन समाज ने अपना फैसला दे दिया है. समाज दुष्कर्मियों से घृणा करता है यह इन कुछ दिनों में साबित हो गया है. पिछले दो दिनों से तरुण तेजपाल सभी प्रकार के मीडिया में छाये हुएं हैं, एक खलनायक की तरह. बहरहाल
कानून के फैसले का सभी को इंतजार रहेगा परन्तु उस पीड़िता का क्या होगा ? जिसके पिता बीमार तथा बिस्तर पर पड़े हैं और उनकी लड़की ही इकलौती कमाने वाली है. उसके भविष्य का क्या होगा यह लाख टके का सवाल है, तरुण की चिंता करने की जरूरत अब नही रही है,चिंता पीड़िता की करनी चाहिये.